Deoria News: मानचित्र स्वीकृति के बाद ही अब गांवों में बनेंगे मकान, जिला पंचायत की तरफ से सरकारी गजट होने के बाद लागू हुआ आदेश
गांवों में भी मकान बनवाने से पहले मानचित्र स्वीकृत कराना होगा। मानचित्र स्वीकृति के लिए संबंधित व्यक्ति को शुल्क भी देना होगा। ग्रामीण क्षेत्रों में बनने वाले सभी प्रकार के भवनों के निर्माण को नियंत्रित व विनियमित करने के लिए यह व्यवस्था शासन ने लागू की है।
देवरिया, जागरण संवाददाता। गांवों में निर्माण कार्य कराना अब आसान नहीं होगा। इसके लिए जिला पंचायत से मानचित्र स्वीकृत कराना होगा। इसके लिए शुल्क तय किए गए हैं। सरकारी गजट के प्रकाशन के बाद यह व्यवस्था जनपद में लागू हो गई है।
आयुक्त गोरखपुर की तरफ से पिछले माह जिला पंचायत की उपविधि की स्वीकृति प्रदान की गई थी। जिसे तीन सितंबर को सरकारी गजट उप्र प्रयागराज में प्रकाशन कराया गया। ग्रामीण क्षेत्रों में बनने वाले सभी प्रकार के भवनों के निर्माण को नियंत्रित व विनियमित करने के लिए यह व्यवस्था शासन ने लागू की है। बिना मानचित्र स्वीकृति के कोई व्यक्ति, ठीकेदार, कंपनी, फर्म या संस्था, सहकारी समिति, सोसाइटी, राजकीय विभाग भवनों का निर्माण कार्य नहीं करा सकेगा। आवासीय, व्यवसायिक, औद्योगिक भवन, शिक्षण संस्थान, फार्म हाउस, ग्रुप हाउसिंग, दुकानों, मार्केट, धर्मार्थ या जनहितार्थ भवन के निर्माण के लिए मानचित्र स्वीकृत कराना अनिवार्य हो गया है। नया निर्माण, पुराने भवन में परिवर्तन, विस्तार या भू-खंड के ले-आउट की स्वीकृति के लिए जिला पंचायत कार्यालय में प्रार्थना पत्र देना होगा।
मानचित्र के लिए यह स्वीकृति की दरें
सभी तलों पर फर्श से ढंके भाग पर आवासीय व शैक्षणिक भवन निर्माण की दर 25 रुपये प्रति वर्ग मीटर और व्यावसायिक व व्यापारिक भवन निर्माण की दर 50 रुपये प्रति वर्ग मीटर होगी। पार्क, उद्यान बनाना, फार्म हाउस विकसित करना, नर्सरी लगाना, शादी समारोह के लिए हाल आदि व विभिन्न प्रकार के सामानों के भंडारण के लिए मानचित्र स्वीकृति की दर 10 रुपये प्रति वर्ग मीटर होगी। पुराने भवन को ध्वस्त करने के बाद दोबारा निर्माण करने की दशा में शुल्क की दर नए भवन की दर के समान होगी। भवन के स्वीकृत मानचित्र में संशोधन होने की दशा में शुल्क की दर नये भवन की दर की एक चौथाई होगी।
मानचित्र स्वीकृत नहीं कराने पर लगेगा अर्थदंड
मानचित्र स्वीकृत नहीं कराने या स्वीकृत मानचित्र से हटकर निर्माण कार्य कराने पर जिला पंचायत अर्थदंड (समझौता शुल्क) लगाएगा। अर्थदंड प्रस्तावित भवन या तलपट मानचित्र पर परिस्थिति के अनुसार कुल शुल्क की गणना का कम से कम 20 व अधिकतम 50 प्रतिशत अतिरिक्त देना होगा। यह धनराशि जमा करने के बाद ही निर्मित भवन के नए मानचित्र की स्वीकृति प्रदान की जा सकती है।
पूर्णता प्रमाण-पत्र भी होगा जारी
पूर्णता प्रमाण-पत्र (कंप्लीशन सर्टिफिकेट) जारी करने की दर 10 रुपये प्रति वर्ग मीटर होगी। प्रमाण-पत्र में भूमि, प्लान, निर्माता, भवन की ऊंचाई, स्थिति आदि का ब्योरा होता है। चहारदीवारी की स्वीकृति की दर पांच रुपये प्रति मीटर होगी।
शुल्क निर्धारण के लिए भवन के सभी तलों पर फ़र्श के कुल क्षेत्रफल की गणना करनी होगी। मोबाइल टावर की स्थापना के लिए भवन स्वामी व आवासीय कल्याण समिति को भी जिला पंचायत से अनापत्ति के लिए प्रार्थना पत्र देना होगा। प्रथम बार शुल्क के रूप में 50 हजार रुपये जमा करना होगा। शैक्षणिक संस्था, अस्पताल, अधिक घनत्व वाली आवासीय बस्ती या धार्मिक भवनों व स्थलों पर या इनके 100 मीटर के दायरे मे मोबाइल टावर की स्थापना नहीं की जाएगी।
अधिकारी बोले
जिला पंचायत अपर मुख्य अधिकारी ज्ञानधन सिंह ने बताया कि फर्जी अभिलेख या गलत विवरण प्रस्तुत कर मानचित्र स्वीकृत कराने पर कार्रवाई होगी। स्वीकृत मानचित्र निरस्त करने के साथ ही निर्माण कार्य ध्वस्त या सील किया जा सकता है।