दीया बाजार में अर्से बाद जली उम्मीद की लौ
स्वदेशी और दीपावली पर मिट्टी के दीये जलाने को लेकर चलाए जा जागरूकता कार्यक्रमों का बाजार में असर दिख रहा है। बाजार में मिट्टी के बर्तन की दुकानों पर भीड़ दिख रही है। कई सालों से बाजार पर काबिज चाइनीज लड़ियों दीयों और अन्य सामग्री के कारण लगातार हाशिये पर जा रहे कुम्हार समाज के परिवारों में उम्मीद जगी है।
देवरिया: स्वदेशी और दीपावली पर मिट्टी के दीये जलाने को लेकर चलाए जा जागरूकता कार्यक्रमों का बाजार में असर दिख रहा है। बाजार में मिट्टी के बर्तन की दुकानों पर भीड़ दिख रही है। कई सालों से बाजार पर काबिज चाइनीज लड़ियों, दीयों और अन्य सामग्री के कारण लगातार हाशिये पर जा रहे कुम्हार समाज के परिवारों में उम्मीद जगी है। दीये बनाने वाले परिवार उत्साहित हैं। इस बार दीपावली को लेकर मिट्टी के बर्तन बाजार में चहल-पहल दिख रही है। लोगों का चाइनीज समान की अपेक्षा पूजा के स्वदेशी तरीकों की तरफ रूझान बढ़ा है।
अखबारों व सोशल मीडिया पर चल रही मुहिम का असर बाजार में नजर आने लगा है। इस बार दीपावली पर स्वदेशी वस्तुओं के प्रयोग की अपील की जा रही है। पाक का साथ दिए जाने के कारण चाइनीज वस्तुओं के बहिष्कार से देश को बचाने की बात हो रही है। ताकि देश का पैसा देश में ही रहे। लोगों का कहना है कि दीया जलाने से लोगों को रोजगार भी मिलेगा और पर्यावरण की सुरक्षा भी होगी। दुकानदार अखिलेश प्रजापति का कहना है कि इस बार चीनी समान के बहिष्कार के बाद लोगों में दीयों की काफी डिमांड है। दीया बनाने वाले कारीगरों ने दीपावली पर पहले से अधिक दीये बनाएं है। दीयों की बढ़ती हुई मांग से दीयों के रेट में भी काफी इजाफा हुआ है। पिछले साल सौ रुपये प्रति सैकड़ा दीयों का रेट था जो अब 150 रुपये हो गया है। कोसा व पुरवा भी प्रति अदद पांच रूपये में बिक रहा है। ग्राहक किरन देवी, व्यास यादव, गौतम तिवारी ने बताया कि वह इस दीपावली पर पूरी तरह से मिट्टी के दीये से पूजन करेंगी, क्योंकि बुर्जगों का कहना है कि मिट्टी का समान शुभ और पवित्र होता है। इसीलिए हमेशा मिट्टी के दीयों से दीपावली मनाना चाहिए। मिट्टी के दीयों से कीट-पतंग और मच्छर दूर होते हैं। मजहर अली ने बताया कि यह अच्छी बात है कि इस बार दीपावली पर स्वदेशी समान को लेकर काफी जागरूकता आई है। ऐसा अभियान पहले ही चलाया जाना चाहिए था लेकिन अब चला तो भी यह काफी सराहनीय है।