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बच्चों को मौत के मुंह में धकेल रहे अभिभावक

तेज रफ्तार ¨जदगी के बीच सड़क हादसों में निरंतर इजाफा हो रहा है। हर रोज कोई न कोई सड़क दुर्घटना का शिकार हो जाता है। सर्दी के दिनों में तो हादसे और भी बढ़ जाते हैं। ऐसे में इस तरह के हादसों को रोकने के लिए आवश्यक है कि हम यातायात नियमों के पालन को लेकर सजग हों। तभी सड़क दुर्घटनाओं को रोका जा सकता है

By JagranEdited By: Published: Fri, 16 Nov 2018 12:08 AM (IST)Updated: Fri, 16 Nov 2018 12:08 AM (IST)
बच्चों को मौत के मुंह में धकेल रहे अभिभावक
बच्चों को मौत के मुंह में धकेल रहे अभिभावक

देवरिया : तेज रफ्तार ¨जदगी के बीच सड़क हादसों में निरंतर इजाफा हो रहा है। हर रोज कोई न कोई सड़क दुर्घटना का शिकार हो जाता है। सर्दी के दिनों में तो हादसे और भी बढ़ जाते हैं। ऐसे में इस तरह के हादसों को रोकने के लिए आवश्यक है कि हम यातायात नियमों के पालन को लेकर सजग हों। तभी सड़क दुर्घटनाओं को रोका जा सकता है।

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आठवीं कक्षा से ही विद्यार्थियों द्वारा बाइक से स्कूल जाने की प्रवृति इन दिनों तेजी से बढ़ी है। 16 वर्ष से कम उम्र होने के कारण इन बच्चों को बाइक नहीं चलानी चाहिए, लेकिन न तो अभिभावक और न ही स्कूल प्रशासन उन्हें इसे रोकता है। यही वजह है कि स्कूलों में बने साइकिल स्टैंड अब मोटरसाइकिल स्टैंड में तब्दील होते जा रहे हैं। सड़कों पर भी मोटरसाइकिल सवार किशोर फर्राटे भरते नजर आते हैं, जबकि इनके पास न तो ड्राइ¨वग लाइसेंस होता है और न ही उन्हें यातायात नियमों की जानकारी ही होती है। यह उत्साही ड्राइवर खुद की जान तो जोखिम में डालते ही हैं, साथ ही सड़क पर चलने वाले अन्य लोगों के लिए भी दुर्घटना का कारण बनते हैं। बावजूद, इस खतरनाक स्थिति पर लगाम लगाने की फुर्सत किसी को नहीं है। अभिभावक भी बच्चों की थोड़ी जिद और आटो पर आने वाले खर्च में कटौती को देखते हुए वह 14- 15 साल के अपने पाल्यों को स्कूटी और बाइक खरीद कर देने में वह कोई संकोच नहीं कर रहे हैं।

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यह कहता है नियम

मोटर व्हीकल एक्ट की धारा-4 के तहत 18 से कम आयु वर्ग का किशोर सार्वजनिक स्थान पर वाहन नहीं चला सकता। हालांकि 16 वर्ष से कम आयु वाला किशोर 50 सीसी इजन क्षमता का वाहन चला सकता है। इसका उल्लंघन करने पर 2000 रुपये जुर्माना या तीन माह की सजा का प्रावधान है। कुछ विशेष परिस्थिति में दोनों सजा लागू हो सकती है। वहीं दुर्घटना की स्थिति में भारतीय दंड संहिता की धारा 304-ए के तहत कार्यवाही की जाती है। किशोर न्याय बोर्ड द्वारा दोषी पाए जाने पर किशोर को सुधार गृह भेजा जाता है। वहीं वाहन स्वामी पर भी जुर्माना और दंड का प्रावधान है।

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क्या न करें-

-अभिभावक नाबालिग बच्चों को वाहन न दें।

-बिना लाइसेंस वाहन चलाना दंडनीय अपराध है।

-दौड़ कर या जल्दबाजी मे सड़क पार ना करें

-खड़ी गाड़ियों के सामने से या बीच में से सड़क पार न करें

-रे¨लग से कूदकर सड़क पार न करें।

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18 वर्ष से नीचे की उम्र के बच्चों को बाइक और कार चलाने की अनुमति देने वाले मां और बाप दोषी हैं। स्कूल में वाहन लेकर आने वाले छात्रों को समझाने के लिए स्कूल में जागरूकता कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। यातायात पुलिस के साथ अभिभावकों की मी¨टग कर उन्हें भी जागरुक किया जाएगा। यातायात नियमों का सख्ती से पालन कराया जाएगा।

-राजीव कुमार चतुर्वेदी, सहायक संभागीय अधिकारी परिवहन, देवरिया

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