समय की पाबंदी व विश्वास से बढ़ता गया कारोबार
ग्राहकों का भरोसा पाने के लिए खुद को साबित करना पड़ता है। जब एक बार रिश्ता बन जाता है उसे बरकरार रखने के लिए आपको हमेशा सजग रहना पड़ता है।
देवरिया: बात चाहें कारोबार की हो या नौकरी की। मन में विश्वास हो और खुद पर भरोसा तो कोई कार्य कठिन नहीं होता। कठिन परिश्रम से मुकाम हासिल किया जा सकता है। यदि कारोबार में हैं तो ग्राहकों का विश्वास जीतने के लिए ईमानदारी बेहद जरूरी है। समय का पालन भी इसमें मददगार साबित होता है।
ग्राहकों का भरोसा पाने के लिए खुद को साबित करना पड़ता है। जब एक बार रिश्ता बन जाता है उसे बरकरार रखने के लिए आपको हमेशा सजग रहना पड़ता है। शहर के राघवेंद्र बिल्डिग मैटेरियल सीसी रोड के राघवेंद्र तिवारी ने इन बातों पर अमल किया। भवन निर्माण सामग्री के कारोबार में खुद को स्थापित किया है।
व्यवसाय से जुड़ी हमारी तीन पीढि़यां
राघवेंद्र तिवारी कहते हैं कि तीन पीढि़यों से हम व्यवसाय से जुड़े हैं। मेरे दादा रामानुज तिवारी कोलकाता में दवा का कारोबार करते थे। 1977 मेरे पिता भगवान दत्त तिवारी देवरिया आ गए। पिताजी ने शहर के सब्जी मंडी में जनरल मर्चेंट की दुकान खोल ली। यह व्यवसाय वर्षों तक चला। 1996 में शहर के सीसी रोड पर राघवेंद्र बिल्डिग मैटेरियल नाम से व्यवसाय शुरू किया।
गूगल पर प्रतिष्ठान को खोजना आसान
गूगल पर प्रतिष्ठान को खोजना आसान है। सर्च करने पर प्रतिष्ठान का पता आसानी से मिल जाता है। गूगल ने कारोबार को जिस तेजी से बढ़ाया है, डिजिटल के माध्यम से कारोबार करना आसान हो गया है। ग्राहक आनलाइन पेमेंट करना पसंद करते हैं। फोन, गूगल या पेटीएम के जरिये बैंक खाता में पैसा आसानी से ट्रांसफर कर देते हैं।
ग्राहकों को होम डिलेवरी की सुविधा
राघवेंद्र तिवारी कहते हैं कि कोरोना काल में जब भी ग्राहकों ने निर्माण सामग्री की सूची मोबाइल से नोट कराया या वाट्सएप से भेजा। हमने उनको समय से सामग्री उपलब्ध कराई। इसके लिए होम डिलेवरी सुविधा मुहैया कराई गई है। वाहनों से ग्राहक के बताए समय पर उनके घर भेज देता हूं। इससे ग्राहक संतुष्ट रहते हैं। चूंकि भवन निर्माण के दौरान सामग्री खत्म होने पर काम रुक जाता है। इसलिए जब भी ग्राहक डिमांड करते हैं, उनको सामग्री उपलब्ध कराया जाता है।
स्टाफ से परिवार जैसा रिश्ता
यह व्यवसाय श्रम पर आधारित है। इसलिए मेहनती लोगों की जरूरत पड़ती है। मेरे यहां 17 स्टाफ कार्य करते हैं। उनसे परिवार जैसा रिश्ता है। लाकडाउन के दौरान जब कारोबार ठप था तो उस समय हमने स्टाफ को हटाया नहीं, बल्कि उनका भरपूर सहयोग किया। पैसे की जरूरत होने पर उसकी व्यवस्था की। उनका पूरा ख्याल रखा। वहीं स्टाफ ने भी कोरोना काल में पूरा सहयोग किया।
कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए हमने कई उपाय किए। शारीरिक दूरी का पालन करने पर जोर दिया। सभी स्टाफ को दूरी बनाकर रहने की ताकीद की।
मजदूरों के सहयोग में रहा आगे
कोरोना काल में सबसे अधिक परेशानी में दिहाड़ी मजदूर थे। उनके परिवार के सामने आर्थिक संकट खड़ा था। हमने कई मजदूरों की सहायता की, उनको भोजन उपलब्ध कराया।