पुस्तकें मानव के ज्ञान का आधार: आंजनेयदास
परमहंसाश्रम के पीठाधीश्वर आंजनेयदास जी महाराज ने कहा कि पुस्तकें ज्ञान का विपुल भंडार ही नहीं बल्कि यह मानव को मानव बनाने में सहायक सिद्ध होती है। यही कारण है कि जब तक मानव सभ्यता रहेगी तब तक किताबों की प्रासंगिकता केवल ज्ञान के संदर्भ में ही नहीं बल्कि मानवीय संदर्भों में भी ¨जदा रहेगी।
देवरिया : परमहंसाश्रम के पीठाधीश्वर आंजनेयदास जी महाराज ने कहा कि पुस्तकें ज्ञान का विपुल भंडार ही नहीं बल्कि यह मानव को मानव बनाने में सहायक सिद्ध होती है। यही कारण है कि जब तक मानव सभ्यता रहेगी तब तक किताबों की प्रासंगिकता केवल ज्ञान के संदर्भ में ही नहीं बल्कि मानवीय संदर्भों में भी ¨जदा रहेगी। कार्यक्रम में जीवन के सौ वर्ष पूरे करने पर आचार्य ज्वाला प्रसाद पांडेय को सम्मनित किया गया।
पीठाधीश्वर सोमवार को क्षेत्र के ग्राम भड़सरा में आयोजित कार्यक्रम में पूजा-प्रदीप पुस्तक का विमोचन करने के बाद कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि किताबों से हर इंसान का सरोकार होना चाहिए। जब हर इंसान का किताबों से सरोकार रहेगा तो इसका जीवंत प्रति¨बब हमारे समाज को प्रभावित करेगा। लेखक आचार्य ज्वाला प्रसाद पांडेय अनल ने कहा कि समय के साथ किताबें हमारे जीवन में अपनी अहमियत खोती जा रही है। जीवन में आई व्यस्तता के कारण हम किताबों को समय नहीं दे पाते हैं। किताबें हमारे लिए फिजूल खर्ची बन गई हैं। उनका मकसद है कि वे लोगों में पढ़ने की आदत को दोबारा पैदा करें। संस्कृत महाविद्यालय बरहज के सेवानिवृत्त प्राचार्य आचार्य विश्राम शुक्ल ने कहा कि किताबें जीवन को मूल्य प्रदान करती हैं। किताबें जीवन को दिशा निर्देश देने का काम करती हैं। संचालन अमृता त्रिपाठी ने किया।
इस दौरान संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य कृष्णमुरारी तिवारी, पूर्व प्रधानाचार्य बालकृष्ण पांडेय, डा.गंगाधार मिश्र, विवेकानंद पांडेय, विपुलानंद पांडेय, विद्यानंद पांडेय, राममूरत दीक्षित, राधारमण पांडेय, प्रहलाद यादव, अंजनी उपाध्याय, अभय तिवारी आदि मौजूद रहे।