विदुर की भक्ति बेजोड़: मां ध्यान मूर्ति
तहसील क्षेत्र के धरमेर महलिया में चल रहे श्रीमछ्वागवत महापुराण कथा के प्रथम दिन रात में मां ध्यान मूर्ति ने विदुर की भक्ति की कथा का रसपान कराया। उन्होंने कहा कि विदुर की भक्ति बेजोड़ थी जिसके चलते भगवान को उनके यहां साग का भोग लगाना पड़ा।
देवरिया: तहसील क्षेत्र के धरमेर महलिया में चल रहे श्रीमछ्वागवत महापुराण कथा के प्रथम दिन रात में मां ध्यान मूर्ति ने विदुर की भक्ति की कथा का रसपान कराया। उन्होंने कहा कि विदुर की भक्ति बेजोड़ थी, जिसके चलते भगवान को उनके यहां साग का भोग लगाना पड़ा। महायज्ञ में श्रीमदभागवत महापुराण के अनुष्ठान में शनिवार की रात श्री शुकदेव भगवान के उपदेशों का विस्तार से वर्णन किया।
वृंदावन से पधारे ध्यान मूर्ति जी महाराज ने श्रीमदभागवत कथा के प्रारंभ को बताते हुए जीवन को भक्ति परक बनाने की बात कही। जिस मनुष्य के जीवन में सत्य करुणा और प्रेम का भाव होता है। उस इंसान के भीतर जिम्मेदारियां होती है, राष्ट्र के प्रति, समाज के प्रति एवं अपने परिवार के प्रति जो मनुष्य जागरूक है वह व्यक्ति निश्चित ही एक अच्छी जीवनशैली के साथ जी रहा है।
सबसे बड़ा धर्म है मानवता है। मानवता को सिखाने के लिए हमारे शास्त्रों ने संतों ने एवं आदर्श पुत्रों ने बहुत बलिदान दिए हैं। श्रीमछ्वागवत कथा को विस्तार देते हुए उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को अपना भोजन, व्यवहार एवं इंद्रियों पर नियंत्रण रखना चाहिए। परीक्षित मोक्ष की कथा सुनकर श्रद्धालु भाव-विभोर रहे।
इस अवसर पर मुख्य यजमान रामाश्रय कुशवाहा, शीला देवी, त्रिभुअन कुशवाहा, सुभाष त्रिपाठी, कुंज मल्ल, संजीत मिश्रा, राधेश्याम कुशवाहा, मैना देवी, अरविद कुशवाहा, अवध नारायण मिश्र, व्यास त्रिपाठी, पिटू त्रिपाठी, मनोज तिवारी, रामचंद्र गुप्ता, धर्मेंद्र, गुलाब, राम प्रताप, नंद कुमार आदि प्रमुख रूप से मौजूद रहे।