वैदिक मंत्रोचार के बीच भगवान पुष्पदंतनाथ का पूजन
जैन धर्म के नौवें तीर्थंकर भगवान पुष्पदंतनाथ की जन्म स्थली काकंदी (खुखुंदू) जैन धर्म के अनुयायियों के लिए आस्था व विश्वास का केंद्र है। जैन परंपरा में अत्यंत प्राचीन काल से काकंदी का नाम बड़ी श्रद्धा से लिया जाता है ।
देवरिया: जैन धर्म के नौवें तीर्थंकर भगवान पुष्पदंतनाथ की जन्म स्थली काकंदी (खुखुंदू) जैन धर्म के अनुयायियों के लिए आस्था व विश्वास का केंद्र है। जैन परंपरा में अत्यंत प्राचीन काल से काकंदी का नाम बड़ी श्रद्धा से लिया जाता है ।
मध्य प्रदेश से जैन धर्म के अनुयायियों का जत्था काकंदी मंदिर पहुंचा। यह पर्व वर्ष में तीन बार मनाया आता है, आषाढ़ कार्तिक व फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष के अष्टमी से पूर्णिमा तक यह पूजा विधान किया जाता है। फाल्गुन की आष्टानिका महापर्व पर नौ दिवसीय सिद्धचक्र महामंडल विधान एवं विश्व शांति महायज्ञ का विमल कुमार जैन भिड मप्र द्वारा आयोजन किया गया। जिसमें मंताभिषेक, जिनाभिषेक, तत्व व शास्त्र पर चर्चा व महाआरती की गई। मध्य प्रदेश व महाराष्ट्र के सैकड़ों अनुयायी पहुंच कर नौ दिवसीय अनुष्ठान में क्षायिक सम्यक्त्व, अनंतज्ञान दर्शन, अनंतवीर्य, अगुरुलघुत्व, सुक्ष्मत्व, निराबाध्य गुण से संपन्न सिद्ध के विधि-विधान का आयोजन किया गया। सुबह झांकी निकाली गई। इसके बाद भगवान का पूजन, जलाभिषेक, पंजामृत, अष्टद्रव्य, जल, अक्षत, पुष्प, दीप के बाद आरती की गई। शाम को सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान विकास, शारदा, मुकेश, शीला, राजेश, मंजू, राहुल, खुशबू, विजय, मुन्नी, विनोद, शोभा आदि सैकड़ों लोग मौजूद रहे। मैनेजर वसंत जैन ने बताया कि मप्र के अनुयायी आए हैं। रोजाना हर विधि से पूजन अनुष्ठान किया जा रहा है।