आजादी की डगर पे पांव यात्रा शुरू
देवरिया : एक से आठ अगस्त तक चलने वाली शहीद यात्रा आजादी की डगर पे पांव का शुभारंभ मंगलवार को परमहंस
देवरिया : एक से आठ अगस्त तक चलने वाली शहीद यात्रा आजादी की डगर पे पांव का शुभारंभ मंगलवार को परमहंसाश्रम स्थित शहीदे आजम पंडित रामप्रसाद बिस्मिल की समाधि से हुआ। यात्रा का समापन आठ अगस्त को फैजाबाद में होगा।
परमहंसाश्रम के पीठाधीश्वर आंजनेयदास ने कहा कि देश की आजादी के लिए लाखों भारतीयों ने अपने प्राणों की आहुति दी। परतंत्रता के दिनों में फिरंगी हुकूमत के बर्बरतापूर्वक दमन का उसी की भाषा में जवाब देने के लिए नौजवानों का खून खौल उठा था। बिस्मिल चंद्रशेखर आजाद, राजेन्द्र लाहिड़ी, भगत ¨सह, अशफाक आदि ने सशस्त्र क्रांति का बिगुल फूंक दिया। सशस्त्र क्रांति से अंग्रेज सरकार बौखला गई। तमाम क्रांतिकारियों को पकड़ कर जेल में डाल दिया गया। कइयों को फांसी दे दी गई। दमन के बावजूद युवाओं का हौसला कम नहीं हुआ। उस दौर के साहित्यकारों, समाचार पत्रों ने अपनी भूमिका का निर्वहन करते हुए निरंतर आजादी की भावना की मशाल जलाए रखी। पूर्व मंत्री अक्षैबर लाल गोंड ने कहा कि क्रांतिकारियों के सपनों का भारत बनाने के बजाए उन अनगिनत शहीदों के संघर्षो, त्याग, बलिदानों और सपनों को भुला दिया गया। आजादी के 70 साल बाद हालत यह हो गई है कि नई पीढ़ी अपने क्रांतिधर्मी लड़ाका पुरखों का नाम तक नहीं जानती। स्कूली पाठ्य पुस्तकों से भारतीय क्रांतिकारी आंदोलन का इतिहास ही नदारद है। शहीद यात्रा के संयोजक सूर्यकांत पांडेय व शाह आलम ने कहा कि भारतीय क्रांतिकारी आंदोलन के महानायकों की कीर्ति रक्षा के लिए यह यात्रा निकाली जा रही है। देश के प्रमुख शहीद स्थलों से गुजरते हुए आठ अगस्त को काकोरी एक्शन की पूर्व संध्या पर फैजाबाद जेल में शहीद ए वतन अशफाक को सलामी दी जाएगी।
इस दौरान रमाकांत पांडेय, उमेश मणि, डा. सूरज गुप्ता, विरेंद्र मिश्र, कौशल ¨सह, ध्रुवधर द्विवेदी, विनोद कुमार मिश्र, ज्ञानेश्वर पांडेय, परशुराम पांडेय, ओमप्रकाश दुबे, डा. योगेंद्रनाथ चौबे, डा. विनय तिवारी, भोला उपाध्याय, पंकज मणि त्रिपाठी आदि मौजूद रहे।