असुरक्षित खदानें, नहीं थम रहीं मौतें
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जागरण संवाददाता, चित्रकूट : भरतकूप क्षेत्र में डेढ़ दर्जन से अधिक खदानों को खान सुधार निदेशालय वाराणसी की ओर से असुरक्षित घोषित किया जा चुका है। इसके बाद भी पट्टा धारक बिना कोई इंतजाम किए खनन कराने में जुटे हैं। इसकी वजह से प्रतिवर्ष दर्जनों मजदूरों की मौत हो रही है। इसमें खनन महकमे के अफसरों समेत दूसरों की मिलीभगत को लेकर भी अक्सर सवालिया निशान उठते रहते हैं।
जिले में भरतकूप, मानिकपुर, भौंरी, मऊ व बरगढ़ क्षेत्र में पत्थर की खदानें संचालित हैं। वैध खदानों के साथ तमाम जगह अवैध खनन भी हो रहा है। वैध खदानों में भी 18 को भरतकूप क्षेत्र में असुरक्षित होने के कारण बंद करने के निर्देश दिए जा चुके हैं। इनमें बिना सुरक्षा इंतजाम खनन पर हादसों को लेकर चेताया गया है। खान सुधार निदेशालय ने धारा 22 (3) के तहत असुरक्षित घोषित किया है। इनमें सीढि़यां बनाकर मजदूरों को सुरक्षा उपकरण के साथ खनन कराने के निर्देश पर मानक दरकिनार हैं। नहीं दिए सुरक्षा उपकरण
मजदूरों को हेलमेट, दस्ताना, जूते समेत दूसरे सुरक्षा उपकरण देने में अक्सर पट्टा धारक परहेज करते हैं। कभी निरीक्षण के दौरान सब दुरुस्त दिखा देते हैं। शनिवार को भी गोड़ा पहाड़ की खदान में कमलेश की मौत सुरक्षा उपकरण नहीं होने की वजह से हुई। ऊपर से गिरा पत्थर उसके सिर पर लगने से मौत हुई। हेलमेट होने से जान बच सकती थी। इनका कहना है
धारा 22(3) के तहत असुरक्षित घोषित की गई खदानों पर प्रतिबंधित नहीं है। उनमें ब्लास्टिग व सीढ़ी बनाकर खनन करना है। पत्थर काफी हार्ड होने से सीढ़ी बनाने में देरी होती है। असुरक्षित खनन पर जांच कराकर कार्रवाई होगी।
-राज कुमार संगम, जिला खनिज अधिकारी चित्रकूट।