गुमनामी के अंधेरे में तुलसीदास की जन्मस्थली
जागरण संवाददाता, चित्रकूट : दुनिया को राम चरित्र से रूबरू कराने वाले गोस्वामी तुलसीदास की जन्म
जागरण संवाददाता, चित्रकूट : दुनिया को राम चरित्र से रूबरू कराने वाले गोस्वामी तुलसीदास की जन्मस्थली अब भी गुमनामी के अंधेरे में है। पुरातत्व विभाग ने सिर्फ उनकी मानस पांडुलिपि को ही संरक्षित किया है, जबकि राजापुर कस्बा स्थित उनके घर, पूजा स्थल व यमुना के तुलसी घाट को विशिष्ट पहचान दिलाने की दिशा में कोई काम नहीं किया गया।
1972 से बदहाली की शुरुआत
महाकवि गोस्वामी तुलसीदास महाराज मंदिर के लिए मुगल बादशाह अकबर ने 96 बीघा भूमि भोग-प्रसाद, बाजार व घाट के रखरखाव के लिए दी थी। इसकी आय का इस्तेमाल तुलसीदास के वंशज मंदिर के लिए करते रहे। वर्ष 1972 में तत्कालीन जिला परिषद बांदा ने घाट की आय का कुछ अंश 684 रुपये के तौर पर दिया था। इसी के बाद उपेक्षा की कहानी शुरू हो गई, जो अब तक बरकरार है। ब्रिटिश काल से अब तक राजापुर यमुना घाट की सकल आय तुलसीदास के वंशजों को मिलती थी लेकिन वर्तमान में यह बंद हो चुकी है।
आवाजाही के रास्ते खराब, सुविधाएं नहीं
तुलसी जन्म स्थली राजापुर पहुंचने के लिए रास्ते खराब हैं। ऐसे में यहां सिर्फ दिन के वक्त ही आवाजाही की जा सकती है। देश-विदेश के पर्यटक यहां आते तो हैं लेकिन हालात देखकर दोबारा आने को लेकर तौबा कर लेते हैं। वीआइपी आगमन पर पुलिस इंतजाम करती है पर बाकी दिनों में समस्याएं हैं। वर्तमान में प्रतिदिन तीन से चार रोडवेज बसें यहां से होकर गुजरती हैं जबकि पहले बांदा, इलाहाबाद, वाराणसी, कानपुर व झांसी के लिए सीधी बस सेवा थी।
यहां भी अनदेखी
-यमुना नदी का तुलसी घाट गंदे नाले से प्रदूषित।
-तुलसी मंदिर व मानस मंदिर में पार्क नहीं बन सका।
-30 साल से संचालित राजकीय बालिका इंटर कालेज भी बदहाल तुलसी जन्मस्थली के विकास को लेकर मंथन चल रहा है। जल्द प्रस्ताव सरकार के पास भेजे जाएंगे।
-विशाख जी, जिलाधिकारी चित्रकूट।