जंगल में चल रहे कुल्हाड़ा वन विभाग मौन
जागरण संवाददाता, चित्रकूट : भगवान श्रीराम ने अपने वनवास का सबसे अधिक समय इसलिए चित्रकूट में
जागरण संवाददाता, चित्रकूट : भगवान श्रीराम ने अपने वनवास का सबसे अधिक समय इसलिए चित्रकूट में बिताया था क्योंकि यहां पर रमणीय पहाड़ियां, झरना, नदी और जंगल थे लेकिन आज उन्हीं जंगलों पर वन माफियाओं की बुरी नजर लगी है। रात दिन जंगल में कुल्हाड़े चल रहे है। जबकि जिम्मेदार विभाग आंखमूंदें है। यही वजह है कि रानापुर वन्य जीव बिहार से लेकर देवांगना जंगल तक बदस्तूर वनों का कटान हो रहा है।
बुंदेलखंड में सबसे अधिक जंगल प्रभु श्रीराम की तपोभूमि में है। 38.2 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैली तपोभूमि प्रकृति का खूबसूरत नजारा है चारों ओर से ¨वध्य पर्वत श्रृंखलाओं और वनों से घिरी है। इन जंगलों में जड़ी बूटी सहित इमारती पेड़ों की भरमार है। आज यहीं खूबसूरत जंगल बीरान हो रहे है। जबकि प्रतिवर्ष लाखों पौधरोपण का दावा वन विभाग करता है। जंगलों की वीरान होने की वजह पेड़ों की अवैध कटान है। अभी तक दस्युओं के नाम पर वन कर्मी उच्चाधिकारियों की आंख मे धूल झोंक कर जंगल में अवैध काटन के कराते थे। जिसका अभी हाल में खुलासा भी हुआ था। जब रैपुरा रेंज में एक वाचर को ही अवैध कटान के साथ पकड़ा गया था। यह तो एक मिशाल है इस काम में अधिकारियों की भी मिली भगत है। तभी तो जंगल कट रहे है कोई ध्यान नहीं दे रहा है। देवांगना जंगल से प्रतिदिन दर्जनों पेड़ों को काट कर बाजार में जलाऊ लकड़ी के रुप में बेंचा जा रहा है। मडैंयन, देवांगना आदि जंगल से लोग लकड़ी काट कर टेम्पों से ले जाते है। आसपास के गांव वाले बताते है कि प्रतिदिन एक दर्जन टेम्पों से यह काम होता है। इस समय बाजार में जलाऊ लकड़ी चार सौ रुपए कुंतल से अधिक में बिक रही है ऐसे में एक टेंपो वाला एक से दो कुंतल लकड़ी भरकर ले जाता है और कुछ घंटा में सात से आठ सौ रुपए की कमाई कर लेता है। प्रभागीय वनाधिकारी आरके त्रिपाठी ने कहा कि जंगल में अवैध कटान की जानकारी उनके संज्ञान में नहीं है। यदि ऐसा है तो जांच कराते है जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।