परंपरागत खाक चौक से हटाने पर संत करेंगे कुंभ का बहिष्कार
जागरण संवाददाता, चित्रकूट : कुंभ मेला को लेकर जहां सरकार विदेशियों को लुभाने में जुटी
जागरण संवाददाता, चित्रकूट : कुंभ मेला को लेकर जहां सरकार विदेशियों को लुभाने में जुटी है, वहीं चित्रकूट के साधु-संत व अखाड़ों के महंत बहिष्कार की तरफ बढ़ गए हैं। रविवार को ब्रह्मपुरी आश्रम में बैठक कर संतो ने कहा कि धर्म नगरी के संत वर्षों से कुंभ मेले के दौरान खाक चौक के आसपास शिविर लगाते हैं। इस बार उनको पांच किमी. दूर किया जा रहा है। इससे 300 संतों का अपमान हो रहा है। योगी सरकार में ऐसी स्थिति कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे। कुंभ मेला बहिष्कार के साथ सरकार को सबक सिखाने का काम भी संत समाज करेगा।
बैठक में खाक चौक समिति के उपमंत्री महामंडलेश्वर महंत रामनरेश दास महराज ने कहा कि कुंभ और महाकुंभ में खाक चौक बसाया जाता है। उसमें अखाड़ा रामानंदी और खालसा के संत-महंत अपने शिविर लगाते हैं लेकिन वर्ष 2019 के कुंभ में खाक चौक को परंपरागत स्थान से हटाया जा रहा है। प्रशासन के निर्णय को लेकर यहां बसने वाले करीब 300 संत और महंतों में खासी नाराजगी है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2007 और 2013 में सपा सरकार में आजम खां जैसे मंत्री को मेला की जिम्मेदारी सौंपी गई थी लेकिन उन्होंने भी खाक चौक को नहीं हटाया था। भाजपा सरकार के अधिकारी व अखाड़ा परिषद के लोग मिलकर खाक चौक के साधु-संतों की अवहेलना करने पर तुले हैं। उनको परंपरागत स्थल से हटाकर रेलवे पुल के दूसरी तरफ 700 मीटर उत्तर की ओर करने का प्रयास किया जा रहा है। इस वर्ष अर्द्धकुंभ को सरकार ने पूर्ण कुंभ की मान्यता दी है। अखाड़ा रामानंदी के तीन और उनके सात अखाड़े त्रिवेणी रोड से लगे हुए बसते रहे हैं। उन्हीं से सटा खाक चौक भी बसता है। बैठक में कामदगिरि प्रमुख द्वार के अधिकारी मदन गोपाल दास, महंत रामचंद्र दास, टाटी घाट के संत सुरेश दास, चंबल समूह खालसा के कुंज बिहारी शरण, फलाहारी खालसा बलराम दास, राम बालक दास, सूरज कुंड के महंत राम बदन दास समेत अन्य रहे।