सुरक्षा के लिए शस्त्र की जरूरत को स्क्रीनिग कमेटी से ले अनुमति
जागरण संवाददता चित्रकूट विधान सभा चुनाव में आदर्श आचार संहिता का पालन और गड़बड़ी रोक
जागरण संवाददता, चित्रकूट : विधान सभा चुनाव में आदर्श आचार संहिता का पालन और गड़बड़ी रोकने के लिए निर्वाचन आयोग ने सभी शस्त्र लाइसेंस धारकों को असलहे जमा करने के आदेश हैं, लेकिन अभी भी कुछ लोग ऐसे हैं जो अपना लाइसेंस जमा करने में रुचि नहीं ले रहे हैं। अगर आप भी ऐसा ही कर रहे हैं तो सावधान हो जाएं। क्योंकि आपकी लापरवाही आपके शस्त्र लाइसेंस को निरस्त करा सकती है। वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनकी ड्यूटी सुरक्षा व्यवस्था में लगी है। तो वह भी इसके लिए विभाग से अनुमति ले लें। इसके लिए उन्हें जिला स्तरीय स्क्रीनिग कमेटी के सामने अपनी बात सिद्ध करनी होगी।
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घर-घर जाकर शस्त्र जमा करा रहें पुलिस कर्मी
पुलिस प्रशासन शस्त्र लाइसेंस धारकों से उनके असलहे प्राथमिकता से जमा कराने में जुटीं हैं। सभी चौकी प्रभारी, थानेदार और बीट सिपाहियों को लगाया गया है। वे लाइलेंस धारकों के घर-घर जाकर उनके शस्त्र जमा करा रहे हैं लेकिन जिले में अभी करीब 55 प्रतिशत असलहे जमा हो जाए है। जिले में 11172 शस्त्र लाइसेंस धारक है जिसमें अभी तक 6500 लाइसेंस धारकों ने अपने असलहे जमा किए हैं। अन्य लोग जमा कर रहे हैं लेकिन तमाम लोग अपनी सुरक्षा को लेकर शस्त्र जमा करने में आना कानी कर रहे हैं। नहीं जमा करना तो स्क्रीनिग कमेटी से लें छूट
निर्वाचन आयोग की गाइड लाइन में ऐसे कुछ नहीं है कि किसको शस्त्र जमा करने है किसको नहीं जमा करने है। ऐसे लोग जिनको कोई खतरा है तो उन्हें स्क्रीनिग कमेटी की शस्त्र जमा करने में छूट दे सकती है। जिलाधिकारी की अध्यक्षता में पुलिस अधीक्षक, उप जिलाधिकारी, पुलिस उपाधीक्षक और थाना प्रभारी की स्क्रीनिग टीम नहीं है। डीएम शुभ्रांत कुमार शुक्ल कहते हैं कि यदि सुरक्षा को लेकर किसी को शस्त्र जमा करने में छूट चाहिए तो उसको स्क्रीनिग कमेटी को आवेदन करना होगा। उसकी समस्या की जांच की जाएगी। रिपोर्ट मिलने पर कमेटी निर्णय लेगी कि शस्त्र जमा में छूट दी जाए या नहीं। फर्जी रशीद वालों पर भी रहेगी नजर
आदर्श आचार संहिता का पालन कराने के लिए प्रशासन की सख्त में कुछ लोग लाइसेंसी असलहा सरकारी शस्त्र की दुकानों पर जमा नहीं करते हैं। ऐसी दुकानों पर भी आयोग की नजर है। सख्त हिदायत है कि दुकानों से फर्जी रसीदें किसी भी दशा में जारी न होने पाए। अफसरों को हिदायत दी गई है कि कारतूस की भी गिनती कराएं। एक वर्ष में कितने कारतूस लिए गए और कितने बेचे गए, इसका मिलान करा लिया जाए।