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धूल से जिंदगी धुआं-धुआं

जागरण संवाददाता, चित्रकूट : चित्रकूट जिले में स्टोन डस्ट व शहर में जगह-जगह जलते कूड़े से बढ़

By JagranEdited By: Published: Wed, 26 Sep 2018 12:09 AM (IST)Updated: Wed, 26 Sep 2018 12:09 AM (IST)
धूल से जिंदगी धुआं-धुआं
धूल से जिंदगी धुआं-धुआं

जागरण संवाददाता, चित्रकूट : चित्रकूट जिले में स्टोन डस्ट व शहर में जगह-जगह जलते कूड़े से बढ़ने वाला प्रदूषण लोगों को टीबी का शिकार बना रहा है। अस्थमा व अन्य गंभीर बीमारियों भी अपने पैर पसारने में जुटी हैं। इसी साल जनवरी से लेकर अब तक तकरीबन 685 टीबी मरीज चिह्नित किए गए हैं।

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चित्रकूट में क्रशर मंडी के साथ पत्थर कटान का काम बड़े पैमाने पर होता है, जो पर्यावरण में घुलकर लोगों की सासों तक पहुंच जाता है। पहले यह लोगों को अस्थमा का शिकार बनाता है और ध्यान न देने पर टीबी जैसी गंभीर बीमारी बन जाता है। इस काम में जलता कूड़ा, टूटी सड़कें और उनसे उड़ने वाली धूल भी सहयोग करती है। यही कारण है कि सघन टीबी रोगी खोज अभियान के तहत 51,938 की स्क्री¨नग में अभी तक 685 नए मरीज सामने आ चुके हैं।

कुल संख्या तीन हजार के करीब

जिले में टीबी मरीजों की संख्या तकरीबन तीन हजार के करीब पहुंच गई है। इस साल के 685 मरीजों के अलावा वर्ष 2017 तक जिले में तकरीबन दो हजार टीबी मरीज उपचार ले रहे हैं। इसके अलावा अन्य ढाई सौ लोग निजी अस्पतालों में अपना इलाज करा रहे हैं। प्रतिरोधक क्षमता कम करती है धूल

जिला अस्पताल के फिजीशियन व चेस्ट रोग विशेषज्ञ डॉ. ऋषि कुमार ने बताया कि टीबी के जीवाणु हर व्यक्ति के फेफड़े में रहते हैं। लगातार धूल, स्टोन डस्ट व प्रदूषण के बीच सांस लेने से संक्रमण शुरू हो जाता है। सिल्कोसिस व अस्थमा से शुरुआत होती है। जरा सी लापरवाही करने पर टीबी के जीवाणु सक्रिय हो जाते हैं। रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होते ही यह बीमारियों का शिकार बना लेते हैं। इन क्षेत्रों में अधिक समस्या

-भरतकूप क्षेत्र स्थित क्रशर मंडी में स्टोन डस्ट की समस्या अधिक है। इसके अलावा मुख्यालय के तरौंहा, पसियोड़ा गांव में मूर्ति कला का काम होने से धूल उड़ती रहती है। मानिकपुर क्षेत्र के ऊंची व मारा चंद्रा इलाके में टूटी सड़कें व स्टोन डस्ट का बोलबाला है। इसी तरह पाठा और बरगढ़ के समेरा, जमिरा, गाहुर, कलचिहा में भी पत्थर कटाई की वजह से हालात बुरे हैं।

अनुदान के लिए यहां कराएं पंजीयन

टीबी मरीज को पांच सौ रुपये प्रतिमाह अनुदान दिया जाता है। इसके लिए मरीज को अपना बैंक खाता, आधार कार्ड की छायाप्रति उपलब्ध करानी होती है। जिला क्षय रोग केंद्र के साथ इलाज उपलब्धता वाले स्थानों पर पंजीयन कराया जा सकता है। जागरूकता की कमी के कारण लोग इलाज में लापरवाही करते हैं। सभी को अपने पास के केंद्र पर नियमित दवाएं लेनी चाहिए। इससे रोग खत्म किया जा सकता है। प्रदूषण फैलाने वाले क्रशर व अन्य को लेकर रिपोर्ट तैयार कराई जा रही है। जल्द ही जागरूकता अभियान शुरू किया जाएगा।

-डा. एनके कुरैचिया, जिला क्षय रोग अधिकारी, चित्रकूट।


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