छह साल, 50 हजार पौधे..कहे जाते पेड़ों वाले दारोगा
जागरण संवाददाता, चित्रकूट : नौकरी ही हरियाली की पहरेदारी की थी। बड़ी शिद्दत से कर्तव्य
जागरण संवाददाता, चित्रकूट :
नौकरी ही हरियाली की पहरेदारी की थी। बड़ी शिद्दत से कर्तव्य निभाया। क्या मजाल इलाके में अवैध कटान हो। पर्यावरण बचाने की जिम्मेदारी सेवानिवृत्ति के बाद भी चल रही है। वन विभाग में दारोगा रहे कपूरचंद्र कुशवाहा ऐसी शख्सियत हैं जो पर्यावरण के संरक्षण के लिए अपनी मुहिम के कारण आज भी दारोगा कहे जाते हैं..पेड़ों वाले दारोगा। छह साल पहले नौकरी से साथ छूटा और तब से अब तक उन्होंने 50 हजार पौधों से हरियाली की गोद भर दी। घर को नर्सरी बना डाला है। लोगों को निश्शुल्क पौधे बांटते हैं। पौधरोपण के लिए प्रेरित कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश देते हैं।
मूल रूप से मानिकपुर तहसील अंतर्गत दस्यु प्रभावित क्षेत्र रानीपुर कल्याणगढ़ के निवासी कपूरचंद्र वर्तमान में मानिकपुर कस्बे में रहते हैं। वह पौधों की देखभाल पुत्र की तरह करते हैं। वन विभाग में तैनाती के बाद से ही उन्होंने पौधों के संरक्षण की मुहिम छेड़ दी थी। बांदा के पैलानी, बांदा, चित्रकूट के बरगढ़, रैपुरा, कर्वी, मानिकपुर रेंज में तैनाती के दौरान वन क्षेत्र में लगे पेड़-पौधों की पहरेदारी में पूरा वक्त बिताया। उनके इलाके में अवैध कटान बंद हो गई। इसके लिए कई बार विभागीय स्तर पर सम्मानित भी किए गए।
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खाली जगह पर पौधरोपण
वर्ष 2012 में विभाग से सेवानिवृत्त होने के बाद कपूरचंद्र ने अपने घर को नर्सरी में तब्दील कर दिया। यहां पर फूल, फल व लकड़ी देने वाले पौधों को तैयार किया है। वह पौधे निश्शुल्क उपलब्ध कराकर ग्रामीणों की टीम जोड़ते हैं। मानिकपुर कस्बे में दूरभाष केंद्र के आसपास बंजर जमीन को हरा-भरा कर दिया है। वहां पौधों की नर्सरी देखने लायक है।
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नर्सरी में ये पौधे
नर्सरी में आम, अमरूद, मौसमी, अंगूर, नीबू, अनार, चांदनी, रात रानी, गुड़हल, एलोवेरा समेत कई तरह की जड़ी-बूटी के पौधे लगा रखे हैं। सागौन, शीशम, यूकेलिप्टस के पौधे भी निश्शुल्क वितरित करते हैं।
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अब गांव-गांव मुहिम
कपूरचंद्र कहते हैं कि अब गांव-गांव पौधे लगाने व संरक्षण की मुहिम चलाएंगे। टीमें तैयार कर नर्सरी की संख्या भी बढ़ाई जाएगी। इससे पौधों को बचाने का संकल्प प्रत्येक व्यक्ति तक पहुंचा सकेंगे। पौधरोपण, पेड़ों की कटान रोकने से लेकर जन-जन को शपथ दिला कर बड़ा कारवां खड़ा करेंगे।