निजाम बदले पर नहीं बदली महिलाघाट पुल की तकदीर
जागरण संवाददाता चित्रकूट चित्रकूट और कौशांबी ज
जागरण संवाददाता, चित्रकूट : चित्रकूट और कौशांबी जनपद को जोड़ने वाला महिला घाट पुल नौ साल में पूरा नहीं हुआ। इस दरम्यान दो निजाम बदल गए पर पुल की तकदीर नहीं बदली है। सिस्टम की उदासीनता से आज अधूरे पड़े पुल की लागत करीब तीन गुना हो गई है। भाजपा सरकार ने रखा था मार्च 2020 मियाद : भारतीय जनता पार्टी ने सूबे का कमान संभालते निर्णय लिया था कि अधूरी परियोजना को तेजी से पूरा करेंगी। इस पुल को भी पूरा करने की मियाद 30 मार्च 2020 निर्धारित थी। वह भी बीत गई और अभी तक महज करीब 35 फीसद काम हुआ है। पुल का शिलान्यास बसपा सरकार में वर्ष 2011 को हुआ था। कार्यदायी संस्था उत्तर प्रदेश राजकीय सेतु निर्माण निगम इकाई चित्रकूट ने काम शुरू कराया। एक साल बाद सूुबे में सपा सरकार आ गई और बजट के अभाव में वर्ष 2015 तक निर्माण ठप रहा। वर्ष 2017 में भाजपा सरकार बनी तो उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या को लोक निर्माण विभाग मिला। कौशांबी को होने के कारण लोगों को उम्मीद बंधी थी यह पुल प्राथमिकता में बनेगा। अब तो लोक निर्माण विभाग के राज्यमंत्री चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय भी हैं जो चित्रकूट के रहने वाले है। दस दिन पहले अधिकारियों ने किया था दौरा
सेतु निगम के परियोजना प्रबंधक एसके निरंजन बीते सप्ताह महिलाघाट पुल का निरीक्षण किया था। तब दावा किया था कि 18 माह में पुल का निर्माण पूरा करेंगे। बजट की कमी आड़े नहीं आएगी। उसके बाद भी काम ठप है। एक नजर में पुल
कार्य - मऊ-महिलाघाट पुल
शिलान्यास - 10 अक्टूबर 2011
लागत - 40.53 करोड़
कार्य पूर्ण - मार्च 2015
संशोधित प्रस्ताव - 2019
संशोधित लागत - 119 करोड़
संशोधित बजट का अनुमोदन समिति से हो गया है शासन की स्वीकृति लंबित है उसकी इसी माह मिलने की संभावना है। बजट मिलते ही काम शुरु हो जाएगा।
- एसके निरंजन, परियोजना प्रबंधक, सेतु निर्माण निगम, चित्रकूट