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जमीं पर बादलों का अहसास, पाठा का 'नियाग्रा' है शबरी जल प्रपात

बरहदा नदी पर स्थित पाठा का नियाग्रा कहा जाने वाला शबरी जल प्रपात पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है। अनूठे सौंदर्य और विहंगम दृश्य की वजह से यहां पर्यटक खिंचे चले आते हैं।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Fri, 15 Mar 2019 08:11 PM (IST)Updated: Fri, 15 Mar 2019 08:11 PM (IST)
जमीं पर बादलों का अहसास, पाठा का 'नियाग्रा' है शबरी जल प्रपात
जमीं पर बादलों का अहसास, पाठा का 'नियाग्रा' है शबरी जल प्रपात

चित्रकूट [शिवा अवस्थी]। बरहदा नदी पर स्थित पाठा का 'नियाग्रा' कहा जाने वाला शबरी जल प्रपात पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है। बारिश के मौसम में अनूठे सौंदर्य और विहंगम दृश्य की वजह से यहां पर्यटक खिंचे चले आते हैं। 40 फीट ऊपर से गिरने वाली तीन जलधाराएं जमीं पर बादलों का अहसास कराकर अथाह गहराई में खो जाती हैं।

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डकैतों की चहलकदमी के लिए मशहूर रहे जमुनिहाई-बंबिया जंगल में शबरी जल प्रपात स्थित है। यूं तो वर्ष भर ही ये आकर्षण का केंद्र रहता है, लेकिन बारिश के मौसम में यहां 'बस्तर के नियाग्रा' जल प्रपात की तर्ज पर त्रि-धारा जलराशि हो जाती है। इसीलिए इसे पाठा का 'नियाग्रा' भी कहते हैं। थोड़ी-थोड़ी दूर पर एक साथ तीन जल धाराएं नीचे गिरने से दृश्य और भी मनोहारी हो जाता है।

जलधारा के वेग और प्रचंड शोर से अंतर्मन के तार झंकृत हो जाते हैं। 40 फीट नीचे गिरने वाली जलधारा कुंड में गिरकर अथाह गहराई पाती है। इससे ठीक आगे 60 मीटर चौड़े और इसे कुछ अधिक लंबे कुंड में बारी-बारी से दो अन्य जलधाराएं गिरकर सम्मोहन को और बढ़ाती हैं। इन अनुभव का लुत्फ उठाने के लिए अच्छी-खासी संख्या में पर्यटक यहां पहुंचते हैं।

पर्यटकों को मिलेगी सुविधा

आने वाले दिनों में यहां पर्यटकों की आमद और बढ़ाने के लिए तीन जगह सीढ़ियों का निर्माण कराया जाएगा। पर्यटकों की सुरक्षा के लिए रेलिंग और लाइटिंग की व्यवस्था भी की जाएगी। इसके लिए बजट जारी हो चुका है। प्रशासन की योजना है कि बारिश से पहले तक यह काम पूरा कर लिया जाए ताकि पर्यटकों को सुविधा मिले। इससे उनकी आमद बढ़ेगी और पर्यटन के फलक पर जलप्रपात गहरी छाप छोड़ेगा।

ये हैं विशेषताएं

-कोल आदिवासी खुद को शबरी का वंशज मानते हैं। बंबिया के जंगल में शबरी आश्रम भी है, यहां मकर संक्रांति पर मेला लगता है।

-तत्कालीन डीएम डॉ जगन्नाथ सिंह ने खोजबीन कर 31 जुलाई, 1998 को इसका नामकरण किया था।

-मंदाकिनी कुंड : मान्यता है कि यहीं प्रभु राम ने शबरी के बेर खाने के बाद कुंड में स्नान किया।

-263 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में बनने वाले रानीपुर वन्य जीव नेशनल पार्क के अस्तित्व में आने पर यह स्थल और खास हो जाएगा।

-शबरी जल प्रपात के अलावा, राघव प्रपात, धारकुंडी का विराग कुंड, बेधक प्रपात व कोल्हुआ में कुंड दर्शनीय।

निर्माण कार्य के लिए जारी बजट

16 लाख रुपये से होगा निर्माण कार्य।

150 सीढिय़ों का किया जाएगा निर्माण।

06 रेलिंग लगाई जाएंगी पर्यटकों के लिए।

27 लाइटें लगाई जाएंगी रोशनी के लिए।

पर्यटकों की संख्या बढ़ाने की कोशिश

मार्च के दूसरे पखवाड़े से निर्माण कार्य शुरू करा दिया जाएगा। पर्यटकों की सुरक्षा के इंतजाम और सहूलियत के लिए यह योजना बनाई गई है। पर्यटकों की आमद बढ़ाने के लिए सोशल मीडिया और डॉक्यूमेंट्री से लोगों को चित्रकूट के बारे में बताया जाएगा।

-विशाख जी, जिलाधिकारी चित्रकूट।


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