चित्रकूट में पौराणिक प्रजाति के पेड़ों का होगा संरक्षण
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जागरण संवाददाता, चित्रकूट : बुंदेलखंड के दौरे पर आए प्रदेश के प्रधान मुख्य वन संरक्षक डॉ. राजीव गर्ग ने चित्रकूट में होने वाली पौराणिक प्रजाति की वन संपदा के संरक्षण पर जोर दिया। उन्होंने कामदगिरि पर्वत पर 'कठ बरगद' का नया नामकरण 'कामदगिरि बरगद' के नाम से किया। कहा कि कठ बरगद, तेंदू व चिरौंजी को भी पौधारोपण अभियान में शामिल करें।
डॉ. गर्ग ने शनिवार को बांदा में अधिकारियों के साथ मंडलीय समीक्षा बैठक की थी। चित्रकूट में रात्रि प्रवास के बाद सुबह कर्वी, मानिकपुर, मारकुंडी रेंज के पौधारोपण क्षेत्रों, पौधशालाओं व जल संरक्षण के कार्यो को देखा। देवांगना हवाई पट्टी का निरीक्षण भी किया। बांस पैदावार और जल संरक्षण के कार्यो से खुश होकर बोले, इनको मॉडल के तौर पर प्रस्तुत कर पूरे प्रदेश में बेहतरी लाएंगे। रानीपुर वन्य जीव विहार के टाइगर रिजर्व बनने तक चित्रकूट वन प्रभाग से संबद्ध करने की बात भी कही। प्रभागीय वनाधिकारी कैलाश प्रकाश से कहा कि पौराणिक प्रजाति के पौधों का अधिक से अधिक रोपण कराएं। यहां की जलवायु में यह पेड़ वर्षो से पनप रहे हैं, इसलिए इनका विस्तार मुफीद रहेगा। उनके साथ बुंदेलखंड जोन के मुख्य वन संरक्षक पीपी सिंह, बांदा वन संरक्षक केके सिंह, वन निगम क्षेत्रीय प्रबंधक राम कुमार, एसडीओ आरके दीक्षित व रेंजर नफीस खान रहे।
पथरीली जमीन पर पनपता कठ बरगद
कामदगिरि में बरगद की ऐसी प्रजाति पाई जाती है जो बिना मिट्टी के पनपती है। स्थानीय भाषा में इसे कठ बरगद कहा जाता है। यह पथरीली जगहों पर आसानी से पैदा होता है। इसको दूसरे पहाड़ों पर भी लगाने की तैयारी है।