बिना अधिकृत रजिस्ट्रेशन के चल रहे मिनरल वाटर प्लांट
जागरण संवाददाता चित्रकूट जिले भर में अवैध तरीके से एक दर्जन से अधिक मिनरल वाटर प्लांट स
जागरण संवाददाता, चित्रकूट : जिले भर में अवैध तरीके से एक दर्जन से अधिक मिनरल वाटर प्लांट संचालित हैं। एक को छोड़ कर किसी के पास भी ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंटर्ड (आइएसआइ) का लाइसेंस नहीं है। प्लांट लगाने के लिए लाइसेंस का होना पहली शर्त है। बिना सील बंद पानी की बिक्री पर प्रतिबंध है उसके बाद जिले में एक दर्जन से अधिक कारोबारी प्रतिदिन केन (कैंपर) के माध्यम से हजारों लीटर पानी की आपूर्ति कर रहे हैं।
जिले में बिना आइएसआइ मार्का व रजिस्ट्रेशन के मिनरल वाटर (ठंडा पानी) बेचने का कारोबार बिना रोकटोक चल रहा है। गंभीर बात है कि जो पानी लोगों को पिलाया जा रहा है, वह शुद्ध है या नहीं, इसकी गुणवत्ता जांचने के लिए कोई पैरामीटर नहीं है। ठंडे पानी के नाम पर कारोबार कर रही फर्मों पर हाथ डालने से औषधि प्रशासन के अधिकारी भी कतरा रहे हैं। वह पैकेज्ड ड्रिंकिंग वाटर नहीं होने का हवाला देकर पानी का सैंपल तक नहीं लेते हैं। गर्मी आते ही मिनरल वाटर बेचने वाली दुकानें खूब चलने लगती है। जिले में 12 से अधिक फर्म कैंपर में भरकर ठंडा व मिनरल वाटर के नाम पर घर एवं प्रतिष्ठानों में सप्लाई कर रही हैं। 20 लीटर पानी के एवज में 600 से 900 रुपये मासिक तक वसूला जाता है पर पानी में शुद्धता की गारंटी नहीं है। शुद्धता को प्रमाणित करने वाला आईएसआई मार्का कैंपर में नहीं होता है। फर्मों ने फूड सिक्योरिटी एक्ट का भी लाइसेंस नहीं लिया है। पानी कितना शुद्ध है इसकी जांच के लिए कोई व्यवस्था भी नहीं है। बिना लाइसेंस के ठंडे पानी के नाम पर किया जा रहा कैंपर का कारोबार। नगर से कस्बों तक फैला है।
ऐसे बनाता है लाइसेंस
मिनरल वाटर प्लांट के लाइसेंस का आवेदन दिल्ली में ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड में होता है। फीस तीन लाख रुपये से अधिक है। आइएसआइ मार्का के अधिकारी मौके पर जांच करते हैं। पानी का नमूना पास होने के बाद अनुमति पत्र दिया जाता है। यह पत्र जिला स्तर पर खाद्य विभाग को दिखाया जाता है। इसके बाद प्लांट का लाइसेंस जारी होता है। प्लांट के लिए जरूरी शर्ते
- दो सौ फीट की बोरिग होनी चाहिए।
- पानी खारा न आता हो और वाटर लेबल ठीक हो।
- आरओ मशीन और चिलर मशीन लगाई जाए।
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अभिहित अधिकारी खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग सीआर प्रजापति ने बताया कि सील पैक पानी बेचने वाले एक प्लांट का लाइसेंस जिले में है। बिना पैकिग पानी बेचने वाले किसी का लाइसेंस नहीं है।
अधिशाषी अभियंता जल संस्थान आरएस मिश्रा ने बताया कि पानी बेच रहे हैं तो टैक्स देना चाहिए। जब मकान वाले वाटर टैक्स देते है तो यह व्यापार है। जांच कराते हैं।