मकर संक्रांति बसंत की आहट नहीं, आगमन की सूचना
जागरण संवाददाता चित्रकूट दीनदयाल शोध संस्थान के उद्यमिता विद्यापीठ में दीनदयाल औद्योगिक प्रशिक्ष्
जागरण संवाददाता, चित्रकूट : दीनदयाल शोध संस्थान के उद्यमिता विद्यापीठ में दीनदयाल औद्योगिक प्रशिक्षण केंद्र के समस्त कार्यकर्ताओं ने एक साथ मकर संक्रांति का उत्सव मनाया। वृंदावन से पधारे आचार्य जगदीश चंद्र शास्त्री के साथ सामूहिक भोज में खिचड़ी एवं तिल गुड़ लिया गया। आचार्य ने बताया कि मकर संक्रांति दरअसल बसंत की आहट ही नहीं आगमन की सूचना है। हमारे जितने भी पर्व त्योहार हैं किसी ना किसी प्रसंग से जुड़े हैं और त्यौहार भी ऋतुओं से जुड़े हैं। मकर संक्रांति जैसे व्यापक त्योहार का विशेष महत्व है। जैसे हम लोग आहुति के लिए हवन सामग्री में मिश्रित तिल, जौ, अक्षत मिलाते हैं जिसमें तिल सर्वोपरि है पूजा में अक्षत का विशेष विशेष महत्व बताया गया है। इसी प्रकार सामाजिक जीवन में हमारा हिदू समाज एक है, जाति अलग-अलग हो सकती है। पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी ने एकात्म मानव दर्शन में प्रकृति को भी समाहित किया है। मकर संक्रांति सामाजिक समरसता का पर्व है। जिस प्रकार गुड़ स्वयं को अग्नि पर तपाकर व गला कर बिखरे हुए तिल के दानों को अपने साथ जोड़ लेता है और एक स्वादिष्ट व्यंजन का निर्माण करता है, ठीक उसी प्रकार हमें भी गुड़ की भूमिका निभानी है और स्वयं को तपाकर अपने संपूर्ण हिदू समाज को एकता के सूत्र में पिरोना है। उद्यमिता विद्यापीठ के संयोजक श्री मनोज सैनी ने कहा कि जब सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करता है और दक्षिणायन से उत्तरायण की ओर प्रस्थान करता है, जो अंधकार से प्रकाश की ओर तथा अशुभ से शुभ की ओर का संकेत है।