भगवान जगन्नाथ गर्भगृह से निकल कर रथ में विराजमान
जागरण संवाददाता चित्रकूट भगवान जगन्नाथ की कोरोना काल में भले ही रथ यात्रा नहीं निकली ले
जागरण संवाददाता, चित्रकूट : भगवान जगन्नाथ की कोरोना काल में भले ही रथ यात्रा नहीं निकली, लेकिन भगवान लोगों को दर्शन देने के लिए गर्भगृह से निकल रथ में विराज चुके हैं। पूजा अर्चन के बाद भगवान जगन्नाथ को बलभद्र व जानकी के साथ रामलीला भवन में बैठाया गया है। यहां पर नौ दिन श्रद्धालु दर्शन कर सकेंगे।
मंगलवार की शाम वैदिक मंत्रों के बीच भगवान जगन्नाथ, बलभद्र व माता जानकी को गर्भगृह से निकाल कर विधि विधान से रथ में बैठाया गया। मंदिर के पुजारी रमाशंकर महाराज ने पूजा अर्चना की। सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भी भगवान की पूजा कर प्रसाद चढ़ाया। चित्रकूट में आषाढ़ी अमावस्या के बाद द्वितीया से भगवान जगन्नाथ की नौ दिवसीय रथ यात्रा शुरू होती थी। यह यात्रा तरौंहा के जयदेव दास अखाड़ा से शुरू होकर सोनेपुर तक जाती है। पंचमी को सोनेपुर में विशाल मेला लगता था। इसके बाद यात्रा वापस लौट आती थी, लेकिन कोरोना महामारी को देखते हुए इस साल जिला प्रशासन ने रथ यात्रा की अनुमति नहीं दी है। इससे समिति ने यात्रा का आयोजन स्थगित कर दिया है। अखाड़ा के महंत रामशरण दास महाराज ने बताया कि यात्रा को स्थगित कर सांकेतिक आयोजन किया गया है। भगवान को गर्भगृह से निकाल कर कुछ देर के लिए रथ में विराजमान कराया गया था। पूजा अर्चना के बाद अब उन्हें मंदिर के बाहर रामलीला भवन में आसन में विराजमान किया गया है। यहां पर वह नौ दिन श्रद्धालुओं को दर्शन देंगे।