बेहतर तकनीक से देश में कृषि व ग्रामीण विकास संभव
जागरण संवाददाता, चित्रकूट : प्रभु श्रीराम की तपोभूमि चित्रकूट में गुरुवार को नेशनल एकेडमी अ
जागरण संवाददाता, चित्रकूट : प्रभु श्रीराम की तपोभूमि चित्रकूट में गुरुवार को नेशनल एकेडमी आफ साइसेंस इंडिया (नासी) का 88वां सम्मेलन शुरू हुआ। महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय में देश के नामचीन वैज्ञानिक शामिल हुए। इस दौरान सतत ग्रामीण विकास में विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं पारिस्थितिकी तंत्र की भूमिका' विषय पर वक्ताओं ने कहा कि बेहतर तकनीक से कृषि व ग्रामीण विकास संभव है।
सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में बतौर मुख्य अतिथि नासी के अध्यक्ष प्रो. अनिल काकोडकर ने कहा कि देश में ग्रामीण विकास के क्षेत्र में विविध प्रकृति एवं प्रवृत्ति के कार्य हो रहे हैं। इनसे देश के सतत ग्रामीण विकास की संभावनाएं बनी हैं। तीन दिन में वैज्ञानिक एवं शोध के जानकार मंथन संग अपनी प्रस्तुति देंगे। 400 से अधिक वैज्ञानिक, शिक्षाविद् एवं शोधार्थी शामिल होंगे। जैव प्रौद्योगिकी विभाग भारत सरकार के पूर्व सचिव एवं राष्ट्रीय संयोजिका प्रो. मंजू शर्मा ने संगोष्ठी के विषयों एवं तकनीकी सत्रों पर प्रकाश डाला। ग्रामीणों और वैज्ञानिकों के मध्य तालमेल स्थापित करने का पक्ष प्रस्तुत किया। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नरेश चन्द्र गौतम ने कहा कि आयोजक मंडल देश के नामचीन वैज्ञानिकों को चित्रकूट जैसे ग्रामीण क्षेत्र में पाकर अभिभूत हैं। देश की प्रतिष्ठित नासी के वार्षिक अधिवेशन एवं संगोष्ठी के आयोजन करने का अवसर विवि को मिला है। इस मौके पर प्रो. सत्यदेव, प्रो. परमजीत खुराना, दीनदयाल शोध संस्थान के सगंठन सचिव अभय महाजन, नासी के सचिव प्रो. नीरज कुमार, प्रो. आईपी त्रिपाठी आदि रहे। राष्ट्रीय स्तर के छह वैज्ञानिकों को प्लेटिनम जुबली अवार्ड
नासी के वार्षिक अधिवेशन में देश के जाने माने छह वैज्ञानिकों को नासी रिलायंस इंडस्ट्रीज ने प्लेटिनम जुबली आवार्ड-2018 से सम्मानित किया गया। सम्मानित वैज्ञानिकों में आइआइएससी बंगलुरु के प्रो. नवा कान्त भटट्, आइआइटी मुंबई के प्रो. रोहित श्रीवास्तव, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रो. प्रलय मैत्री को भौतिकीय विज्ञान के लिए सम्मान मिला। इसी तरह आईसीपीटी तंजौर के डा. सी. आनंदधर्मा कृष्णनन, नेशलन ब्रेन रिसर्च सेंटर गुरुग्राम के प्रो. नंदनी चटर्जी तथा जाधवपुर विश्वविद्यालय कोलकाता के डा. पुलक कुमार मुखर्जी जैविकीय विज्ञान को भी सम्मान से नवाजा गया। सभी को अपने-अपने क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए नकद धनराशि, स्मृति चिह्न व प्रमाण पत्र दिया गया।