Move to Jagran APP

स्वास्थ्य सेवाएं बीमार, नहीं मिला सियासी टॉनिक

लोकतंत्र की ताकत से मजबूत हुई सियासत ने चित्रकूट जिले की स्वास्थ्य सेवाओं की हमेशा अनदेखी की

By JagranEdited By: Published: Tue, 16 Apr 2019 11:23 PM (IST)Updated: Fri, 19 Apr 2019 06:08 AM (IST)
स्वास्थ्य सेवाएं बीमार, नहीं मिला सियासी टॉनिक
स्वास्थ्य सेवाएं बीमार, नहीं मिला सियासी टॉनिक

लोकतंत्र की ताकत से मजबूत हुई सियासत ने चित्रकूट जिले की स्वास्थ्य सेवाओं की हमेशा अनदेखी की। अर्से से जिला अस्पताल, सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टरों की कमी है। अफसर पत्र लिखने तक सीमित रहे और सियासी लोग आगे नहीं बढ़े। हां, निरीक्षण कर इतिश्री जरूर कर ली गई। वर्ष 2017 में सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लेकर जिले के प्रभारी मंत्री डॉ.महेंद्र सिंह जिला अस्पताल के दौरे पर आए। क्षेत्रीय सांसद व विधायक भी घूमे लेकिन बस आश्वासन ही मिले। हकीकत में सुविधाएं ख्वाब हैं। पिछड़े जनपद में शामिल होने के कारण केंद्र सरकार ने खूब मरहम लगाए। इससे कई बार बेहतर पुरस्कार जरूर जीते गए पर चिकित्सकों की कमी से हाय-तौबा अब तक मची है। बदहाली की शिकार स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ताल करती हेमराज कश्यप की रिपोर्ट। उपकरण आधुनिक पर इलाज के नाम पर रेफर चिट

loksabha election banner

केंद्र व प्रदेश सरकार की पहल पर जिला अस्पताल से लेकर सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के भवन बने। आधुनिक उपकरण स्थापित किए गए। जिला अस्पताल में ब्लड बैंक से लेकर अत्याधुनिक जांच इंतजाम को लेकर लैब, ईसीजी, डिजिटल एक्सरे, एसएनसीयू, आइसीयू कक्ष, दो मॉडल आपरेशन थियेटर है पर इलाज कराने पहुंचने वालों को रेफर की चिट मिलती है। नीति आयोग से मॉनिटरिग पर सुधार कागजी

केंद्र सरकार ने देश के 115 अति पिछड़े जनपदों में चित्रकूट को भी शामिल किया है। यहां नीति आयोग की टीमें सीधी मॉनिटरिग कर रही हैं। स्वास्थ्य, शिक्षा, पानी के सुधार के लिए आंकड़ों में कागजी सुधार हुआ लेकिन हकीकत इतर है। अब तक जिला अस्पताल डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा है तो सीएचसी पीएचसी भी संकट में हैं। दो सौ शैय्या अस्पताल को स्टाफ की दरकार

स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर बनाने को बुंदेलखंड क्षेत्र के चित्रकूट में दो सौ शैय्या का मातृ एवं शिशु अस्पताल बनवाया गया है। भवन बनकर तैयार खड़ा है। अत्याधुनिक भवन में सुविधाएं भी मॉडल हैं लेकिन स्टाफ की स्वीकृति नहीं मिल सकी है। सियासी लोग कभी इस दिशा में सोचने को तैयार नहीं हुए। बेहतरी में यहां बाधाएं

- जिले में गंभीर बीमारी के इलाज का नहीं कोई इंतजाम।

- जिला अस्पताल में विशेषज्ञ चिकित्सकों की अर्से से कमी।

- स्वीकृत 138 चिकित्सकों के सापेक्ष महज 78 की तैनाती।

- पैरामेडिकल स्टाफ भी अक्सर बरतता है लापरवाही।

- एंबुलेंस सेवा लखनऊ नियंत्रण के कारण बदहाली का शिकार।

.....

आंकड़ों में स्वास्थ्य सेवाएं

जिला अस्पताल : 01

मातृ-शिशु अस्पताल : 01

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र : 06

प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र : 28

स्वास्थ्य उप केंद्र : 34

कुल डॉक्टरों की जरूरत-138

डॉक्टरों की संख्या : 78

कमी है : 60

....

आंकड़ों में आयुष्मान योजना

आयुष्मान कार्डधारक : 73,400

अब तक कार्ड बने : 7,000

इलाज के लिए पंजीयन : 342

उपचार के बाद ठीक हुए : 224

वर्तमान में इलाज करा रहे : 118

.....

जिले में संसाधनों के मुताबिक मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराई जा रही हैं। डॉक्टरों की कमी दूर करने के लिए शासन को कई बार पत्र लिखे गए हैं। कुछ की तैनाती यहां हुई लेकिन ज्वाइन करने नहीं आए। जल्द यह खामी भी दूर की जाएगी।

- डॉ.राजेंद्र सिंह, मुख्य चिकित्सा अधिकारी चित्रकूट।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.