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दीपपुंज से सजे घाट, मंदाकिनी नदी में दिखी आकाश गंगा

जागरण संवाददाता चित्रकूट प्रभु श्रीराम की तपोभूमि में मंदाकिनी का तट गुरुवार की शाम दीपो

By JagranEdited By: Published: Thu, 26 Nov 2020 11:20 PM (IST)Updated: Fri, 27 Nov 2020 12:22 AM (IST)
दीपपुंज से सजे घाट, मंदाकिनी नदी में दिखी आकाश गंगा
दीपपुंज से सजे घाट, मंदाकिनी नदी में दिखी आकाश गंगा

जागरण संवाददाता, चित्रकूट : प्रभु श्रीराम की तपोभूमि में मंदाकिनी का तट गुरुवार की शाम दीपों से जगमगा उठा। रामघाट में सजाए गए 11 हजार दीपों से ऐसा लग रहा था कि मंदाकिनी में आसमान से तारें उतर आए हैं। दीपपुंज से रोशनी में नहाए रामघाट पर लोग आतिशबाजी का भी आनंद लिया। तपोभूमि में मनोहारी दृश्य को देखकर ऐसा लगा कि देवोत्थान एकादशी में साक्षात भगवान श्रीराम की कृपा रामघाट में बरस रही है।

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नगर पालिका प्रशासन चित्रकूट धाम कर्वी की ओर से देवोत्थान एकादशी का भव्य आयोजन रामघाट पर किया गया। खूबसूरत रंगोली व विद्युत झालरों से सजे मंदाकिनी तट के घाटों को 11 हजार दीप जलाए गए तो ऐसा लगा कि जमी पर आकाश गंगा उतर आई है। जिसको लोग अनायास एकटक निहारते रहे। इस दौरान आयोजित गंगा आरती से नजारे में और चार चांद लग गए। सांस्कृतिक कार्यक्रम व भजन आदि का भी आयोजन किया गया। इसके पहले तुलसीपीठाधीश्वर जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य, जिलाधिकारी शेषमणि पांडेय व पुलिस अधीक्षक अंकित मित्तल ने गंगा आरती व दीपोत्सव का शुभारंभ किया। धर्मनगरी में रामघाट के मठ मंदिरों को भी दीपों से सजाया गया था। महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय व जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय के छात्रों ने घाट पर प्रथम पूज्य गणेश सहित तमाम रंगोलियां सजाई थीं। इस मौके पर पालिका अध्यक्ष नरेंद्र गुप्ता, तुलसीपीठ उत्तराधिकारी रामचंद्र दास, ईओ नरेंद्र मोहन मिश्रा, कमलाकांत शुक्ला. एसके मिश्रा, सुभाष गुप्ता आदि रहे।

आज के दिन उठते हैं देव

वाल्मीकि आश्रम के महंत भरतदास बताया कि दीपावली ने के बाद पड़ने वाली एकादशी को देवोत्थानी या प्रबोधिनी एकादशी कहते हैं। देव आषाढ़ एकादशी को शयन करते हैं और कार्तिक शुक्ल एकादशी के दिन उठते हैं। इसीलिये इसे देवोत्थान एकादशी कहते हैं। आज के दिन चार माह बाद भगवान विष्णु जागे थे। विष्णु के शयनकाल के चार मासों में विवाह आदि मांगलिक कार्यो नहीं होते हैं। भगवान के जागने के बाद ही एकादशी से सभी शुभ एवं मांगलिक कार्य शुरू किये जाते हैं। रात को परिवार के सभी सदस्य भगवान विष्णु व अन्य देवताओं का विधिवत पूजन करते हैं। प्रात: काल भगवान को शंख, घंटा व घड़ियाल आदि बजाकर जगाते हैं।


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