अभी से मंदाकिनी में उड़ने लगी धूल
संवाद सहयोगी राजापुर (चित्रकूट) देश-दुनिया के करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था की केंद्र और
संवाद सहयोगी, राजापुर (चित्रकूट) : देश-दुनिया के करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था की केंद्र और राजापुर के तिरहार से होकर यमुना में गिरने वाली मंदाकिनी (पयस्वनी) नदी सगवारा और अरकी ग्राम पंचायत के बीच तकरीबन 13 किलोमीटर के दायरे में सूख गई है। तलहटी पर धूल उड़ने से 150 से अधिक छोटे-बड़े गांवों में सिचाई संकट गहरा गया है। यह हालात मध्य प्रदेश में नदी के उद्गम स्थल अनुसुइया आश्रम के पास पानी कम होने से बने। राजापुर तहसील के कनकोटा व कुसेली गांव के पास जरूर जलस्त्रोत खुलने से पानी नजर आता है, जबकि अन्य जगहों पर बीच-बीच में गड्ढों में जलराशि है।
यहां इलाकों में ज्यादा संकट
तिरहार इलाके में सगवारा, अरकी के साथ कलवलिया, लोहदा, पनौटी, भटरी, पटना, महुआ गांव, अतरौली, सरधुआ, पांडेयपुरवा, गड़रियनपुरवा समेत राजापुर तहसील व पहाड़ी ब्लॉक के करीब 150 गांवों में नदी सूख चुकी है। सगवारा गांव में मंदाकिनी, गेड़ुवा नाला और पयस्वनी के संगम में भी पानी नहीं है।
मनरेगा से खोदाई में निकले थे स्त्रोत
डीएम विशाख जी. की पहल पर मई 2018 में 22 ग्राम पंचायतों में मनरेगा से खोदाई कराकर जलस्त्रोत निकालने से मंदाकिनी को पुनर्जीवन मिला था। अब दूसरे इलाकों में समस्या आ खड़ी हुई। किसानों को अरहर, सरसों, गेहूं, चना, मटर व मसूर की फसल को सूखने से बचाने के लिए निजी नलकूप का सहारा लेना पड़ रहा है जिससे उनकी जेब ढीली हो रही है।
जलस्त्रोतों को खोलना व बांध बनाना ही हल
मंदाकिनी नदी में जलस्त्रोत खोलने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के साथ बड़े बांध बना जल संरक्षण करने की जरूरत है। बारिश के पानी को भी संरक्षित करने से काफी हद तक मदद मिलेगी।
आंकड़ों पर नजर
समस्या से ग्रसित क्षेत्र : 13 किलोमीटर
कुल प्रभावित गांव : 150
इलाके की आबादी : 1,85,000
सिचाई लायक जमीन : 1250 हेक्टेयर
ग्रामीण बोले
नदी जल का इस्तेमाल पशुओं व खुद के पीने के साथ सिचाई में करते हैं। अब जल धारा सूखने से हर व्यक्ति परेशान है। स्थायी हल निकलना चाहिए।
- श्रवण कुमार द्विवेदी, भटरी नदी खोदाई से बेहतरी की आस जगी थी। कुछ जगहों पर पानी आया भी है लेकिन बाकी में स्थित खराब है। प्रशासन के साथ ग्रामीण सहयोग को तैयार हैं।
-विजय सिंह, महुआ गांव मंदाकिनी नदी आसपास गांवों में सिचाई का प्रमुख साधन है। इसके पुनर्जीवन के लिए हर ग्रामीण मदद को तैयार है। प्रशासन की पहल पर साथ देंगे।
-शिवा कांत पांडेय, सगवारा क्या कहते हैं अधिकारी
अप्रैल, मई व जून में जलस्त्रोत खोलने के लिए अभियान चलेगा। जल धारा पूरी तरह सूखने से काम में आसानी रहती है। ग्राम पंचायतों, सिचाई विभाग के साथ कार्ययोजना तैयार की जा चुकी है। इससे हमेशा के लिए समस्या खत्म हो जाएगी।
-विशाख जी., जिलाधिकारी चित्रकूट