चिकित्सकों की कमी से बच्चों को नहीं मिल रहा इलाज
जागरण संवाददाता, चित्रकूट : जिले में बीमार बच्चों को इलाज नहीं मिल पा रहा है। चिकित्सकों क
जागरण संवाददाता, चित्रकूट : जिले में बीमार बच्चों को इलाज नहीं मिल पा रहा है। चिकित्सकों की कमी से मरीज बच्चे और तीमारदार भटकने को मजबूर हैं। बाल रोग विशेषज्ञों की कमी धीरे-धीरे समस्या बनती जा रही है। हालात ये हैं कि तीन एनआरसी, एसएनसीयू वार्ड व ओपीडी की जिम्मेदारी सिर्फ दो चिकित्सकों के हवाले है।
जिला अस्पताल की ओपीडी में प्रतिदिन 50 से लेकर 150 तक बच्चे इलाज के लिए पहुंचते हैं। यहां तैनात दो चिकित्सकों में से एक या तो अवकाश पर होते हैं फिर किसी सरकारी काम से बाहर गए होते हैं, लिहाजा मौके पर एक ही चिकित्सक को पूरी ओपीडी संभालनी पड़ती है। छुट्टी के दिनों में कई बार बीमार बच्चे आते भी हैं तो चिकित्सक न मिलने की वजह से प्राइवेट इलाज कराना पड़ता है।
तीन पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी)
जिला अस्पताल : दस बेड
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र राम नगर : छह बेड
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मानिकपुर : छह बेड
(इन केंद्रों पर छह माह से पांच साल के कुपोषित बच्चे भर्ती होते हैं। परामर्श, इलाज व भोजन निश्शुल्क, बाल रोग विशेषज्ञ की अहम भूमिका) एसएनसीयू वार्ड
जिला अस्पताल में स्थापित सिक न्यू बॉर्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) वार्ड में 12 बेड हैं। इसमें नवजात व एक माह तक के बच्चे भर्ती होते हैं। अत्याधुनिक सुविधाएं हैं पर अक्सर बाल रोग विशेषज्ञ न होने की वजह से परेशानी आती है। जिले में बाल रोग विशेषज्ञों की कमी है। दो चिकित्सक लगाए हैं ताकि दूर दराज के मरीजों को न लौटना पड़े। सीएचसी के एनआरसी में एमबीबीएस चिकित्सक देख रहे हैं।
-डा. राजेंद्र ¨सह, मुख्य चिकित्सा अधिकारी चित्रकूट। राम नगर व मानिकपुर के एनआरसी बाल विकास व पोषण विभाग द्वारा संचालित हैं। वहीं के चिकित्सक देखभाल करते हैं। जरूरत पर वहां बाल रोग विशेषज्ञ भेजे जाते हैं।
-डा. एसएन मिश्रा, मुख्य चिकत्सा अधीक्षक जिला अस्पताल, चित्रकूट।