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सूखे पाठा के बेटों को पानीदार बना रहे पिताजी

शिवा अवस्थी चित्रकूट चित्रकूट की मानिकपुर तहसील का पाठा इलाका। यहां पेयजल संकट की भय

By JagranEdited By: Published: Wed, 15 May 2019 11:50 PM (IST)Updated: Thu, 16 May 2019 08:11 AM (IST)
सूखे पाठा के बेटों को पानीदार बना रहे पिताजी
सूखे पाठा के बेटों को पानीदार बना रहे पिताजी

शिवा अवस्थी, चित्रकूट : चित्रकूट की मानिकपुर तहसील का पाठा इलाका। यहां पेयजल संकट की भयावहता दो कहावतें बयां करती हैं। पहली 'झील झांझर झौं, ज्वार चना जौ। तीन पांच नौ, आपन-आपन गौं।' यानी झीलों, झाड़ियों व जंगलों के इलाके में पानी के अभाव में सिर्फ चना, ज्वार व जौ की पैदावार होती है। तीन रुपये कर्ज लेने पर साहूकार पांच लिखकर नौ की वसूली करता है पर अपने गांव को कैसे छोड़ दें। दूसरी 'पैसे सूप टका गगरी, आग लगै रुकमा ददरी, भौंरा तेरा पानी गजब करि जाय, गगरी न फूटै खसम मरि जाय।' यह पेयजल संकट की तस्वीर खींचती है।

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दशकों से ऐसी स्थितियों से जूझ रही पाठा की पौने दो लाख आबादी के लिए एक शख्स की जिजीविषा ने बदलाव की बयार छेड़ी है। सूखे पाठा को 'पानीदार' बनाने में जुटे और जल पुरुष की संज्ञा पाने वाले यह शख्सियत हैं गया प्रसाद उर्फ गोपाल भाई उर्फ पिताजी। अखिल भारतीय समाज सेवा संस्थान सीतापुर चित्रकूट के बैनर तले अपने दामाद स्व. भागवत प्रसाद के साथ छेड़ी मुहिम अब परवान चढ़ने लगी है। उनकी टीम में शामिल करीब पांच दर्जन युवा गांव-गांव जाकर लोगों को जल संरक्षण की सीख दे रहे हैं। पाठा इलाके में कई जगहों पर पहाड़ों का पानी संरक्षित करने में सफलता पाई है। कोल आदिवासी समुदाय के कई गांवों को 'जल है तो कल है' का संदेश देकर खुद के लिए पानी जुटाने लायक बना दिया है।

ऐसे बदली सोच

गोपाल भाई बताते हैं कि बचपन में पिता हमेशा पानी को लेकर टोकते रहते थे। बड़े होने पर 1985 में पानी बचाने की दिशा में कदम बढ़ाए। ग्रामीण इलाकों में लोगों को अपने साथ जोड़ा। प्रतिदिन संस्थान से जुड़े युवाओं की टोलियां दो से तीन गांवों में जल संरक्षण की सीख देने पहुंचती हैं। अब नदियों को जोड़ने के लिए मुहिम चलाने का इरादा है। यह मिला पुरस्कार

28 नवंबर 2017 को जल प्रबंधन व संरक्षण के क्षेत्र में कार्य करने पर अंतरराष्ट्रीय स्तर के संगठन फिक्की की तरफ से पुरस्कार मिला। इन जिलों में कर रहे काम

बुंदेलखंड के चित्रकूट, बांदा, महोबा, ललितपुर, हमीरपुर, झांसी, जालौन के साथ सोनभद्र, अनूपपुर, टीकमगढ़ व मध्यप्रदेश के सीमावर्ती जिलों में भी अक्सर लोगों के बीच जल संरक्षण को लेकर कार्यशालाओं का आयोजन। जल संरक्षण की दिशा में प्रमुख कार्य

- 40 तालाबों का जीर्णोद्धार करा जल संचयन कराने में सफलता।

- जलागम कार्यक्रम के तहत टिकरिया में बंजर जमीन में लहलहाई फसल।

- सरकार के सहयोग से 100 कुओं की खोदाई से मिला पानी।

- मनगवां में जल प्रबंधन व जलाच्छादन से कृषि उत्पादन बढ़ा।

- बगरहा इटवां के दो तालाब में जल संचयन कर चेकडैम से मिला पानी।

- जून तक चुरेह केशरुवा, ऐलहा बढ़ैया व गिदुरहा में तालाब की सफाई का लक्ष्य।

- ग्रामीणों की समितियों के माध्यम से गांव-गांव पानी बचाने का कार्य।


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