एमडीएम के 'हवन' में वेतन की 'आहुति'
जागरण संवाददाता, चित्रकूट : मध्याह्न भोजन यानी मिड-डे मील (एमडीएम) बनवाने के 'हवन' में परिषदी
जागरण संवाददाता, चित्रकूट : मध्याह्न भोजन यानी मिड-डे मील (एमडीएम) बनवाने के 'हवन' में परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों को अपने वेतन की 'आहुति' देनी पड़ रही है। यह सिलसिला छह माह से चल रहा है। जिले भर के स्कूलों में प्रधानाध्यापकों को इस काम का जिम्मा सौंपा गया है। जिले में अलग-अलग स्कूलों में हजारों रुपये जेब से खर्च करने के बावजूद उनको धनराशि नहीं मिली है। साथ में प्रति छात्र भोजन के लिए तय दरें भी बेहद कम होने से जूझना पड़ रहा है।
शिक्षण अहम पर एमडीएम भी जरूरी विद्यालयों में शिक्षण कार्य अहम है पर एमडीएम उससे भी ज्यादा जरूरी है। ऐसे में कई बार पढ़ाई बाधित होती है। प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में एमडीएम पर विशेष निगाह है। कमेटी तय कर मानीट¨रग कराई जा रही है लेकिन धनराशि लंबित होने पर किसी की निगाह नहीं है।
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यहां आ रहीं दिक्कतें
-दो साल से कनवर्जन कास्ट में नहीं हुआ इजाफा।
-छह माह से एमडीएम की धनराशि नहीं भेजी गई।
-फल वितरण का पैसा एक साल से नहीं मिला।
-बच्चों को दूध की उपलब्धता में अतिरिक्त खर्च।
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इस दर से प्रति छात्र भुगतान
-प्राथमिक विद्यालय : 4.13 रुपये
-उच्च प्राथमिक स्कूल : 6.18 रुपये
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मार्च 2018 में एमडीएम की धनराशि भेजी गई थी। जिले में धनराशि आ चुकी है। फाइल जिलाधिकारी के पास है। एक से दो दिन में सभी ब्लॉकों में धनराशि पहुंच जाएंगी।
-प्रकाश ¨सह, बीएसए चित्रकूट।
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धनराशि न मिलने से प्रधानाध्यापक दिक्कत में हैं। समस्या से बीएसए को अवगत करा दिया गया है। जल्द भुगतान का आश्वासन मिला है।
-अखिलेश पांडेय, जिलाध्यक्ष उप्र प्राथमिक शिक्षक संघ।