Chitrakoot Treasury Scam: 7 साल में घोटाला, 97 पर केस, अब जेल में बंद सहायक कोषाधिकारी समेत दो निलंबित, दो और गिरफ्तार
चित्रकूट कोषागार घोटाले में पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए सहायक कोषाधिकारी समेत दो को निलंबित कर दिया है, जो पहले से ही जेल में थे। इसके अतिरिक्त, दो और गिरफ्तारियां हुई हैं। यह घोटाला पिछले 7 सालों से चल रहा था, जिसमें 97 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। पुलिस मामले की गंभीरता से जांच कर रही है और अन्य आरोपियों की तलाश जारी है।

चित्रकूट कोषागार में 43.13 करोड़ के घोटाले का मामला।
जागरण संवाददाता, चित्रकूट। कोषागार में 43.13 करोड़ के घोटाले के मामले में शनिवार को निदेशक कोषागार वीके सिंह ने जेल में बंद सहायक कोषाधिकारी (एटीओ) विकास सिंह सचान व सहायक लेखाकार अशोक कुमार को निलंबित कर दिया है।दोनों पर सरकारी धन की हेराफेरी में सक्रिय भूमिका होने का आरोप है। बांदा कोषागार के सहायक लेखाकार लोकेश कुमार व कानपुर के सहायक लेखाकार अमित कुमार कुरील को कोषागार से संबद्ध किया गया है।
उधर, एसआइटी ने दो और बिचौलियों दीपक पांडेय व रणविजय यादव को गिरफ्तार किया है। आरोपितों को सीजेएम न्यायालय में पेश कर जिला कारागार भेजा गया। मामले में अब तक 32 आरोपित सलाखों के पीछे जा चुके हैं, जिनमें 24 पेंशनर व छह बिचौलिये हैं। वहीं, शनिवार को 27.68 लाख रुपये की और रिकवरी आरोपितों से कर ली गई। अब तक कुल 3.19 करोड़ रुपये वसूले जा चुके हैं। इस घोटाले के बाद से चित्रकूट ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश के कोषागारों में जांच की जा रही है।
वर्ष 2018 से 2025 के बीच कोषागार के अफसरों व कर्मियों ने पेंशनरों, बिचौलियों से मिलीभगत कर पेंशनर के अलग-अलग बैंक खातों में करोड़ों रुपये फर्जी तरीके से भेजे व बाद में वापस निकाल लिए। रकम को प्रापर्टी खरीदने की धनराशि बताकर भेजा गया व लाभार्थियों को 10 प्रतिशत कमीशन का लालच देकर उन्हीं से निकलवा लिया गया। पूरा फर्जीवाड़ा पेंशन व वेतन के मद में फर्जी भुगतान आदेशों के माध्यम से किया गया।
सिंडीकेट ने जिन खातों में रकम भेजी, उनमें चार खाते मर चुके पेंशनरों के नाम पर दोबारा खोले गए थे। एक खाता राजेंद्र कुमार नाम से संचालित किया जा रहा था, जो कहीं है ही नहीं। फाइलों से दस्तावेज हटा दिए गए, जिससे वर्षों तक आडिट टीम को कोई गड़बड़ी नहीं मिली। सितंबर 2025 में आडिट के दौरान एक फाइल में दस्तावेज गायब मिलने पर संदेह हुआ। इसके बाद छह अक्टूबर को प्रयागराज से विशेष आडिट टीम बिना सूचना के कोषागार पहुंची।
दो आइटी विशेषज्ञों ने ट्रेजरी एक्सेस डेटा की मदद से पूरा घोटाला उजागर किया। टीम ने अग्रणी बैंक प्रबंधक के माध्यम से 93 संदिग्ध खातों को सीज कराया था। इसमें मऊ के खंडेहा निवासी कमला देवी की पेंशन आनी बंद हुई तो उन्होंने अपने खाते की जांच कराई। पता चला कि 15 मई, 2023 से एक मार्च, 2024 के बीच उसके खाते में ट्रेजरी से 31 लाख रुपये आए, जिन्हें उसके भाई ओमप्रकाश ने निकाल लिया। इसके बाद पूरा घोटाला सबके सामने आया।
17 अक्टूबर को वरिष्ठ कोषाधिकारी रमेश सिंह ने एटीओ विकास सिंह सचान, लेखाकार अशोक कुमार, सेवानिवृत्त अधिकारी अवधेश प्रताप सिंह व 93 पेंशनर सहित 97 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। इनमें एक आरोपित सहायक लेखाकार संदीप श्रीवास्तव की मृत्यु हो चुकी है, जबकि एटीओ विकास व सहायक लेखाकार अशोक कुमार सहित 30 लोग जेल में बंद हैं।
एएसपी सत्यपाल सिंह ने बताया कि बरहट निवासी दीपक पांडेय ने अपनी मां लक्ष्मी देवी समेत कई पेंशनरों के खातों में भुगतान कराकर पैसा निकाला व कोषागार कर्मियों को हिस्सा दिया। उसने राजापुर की पेंशनर सहोद्रा देवी के खाते को भी अपने बैंक खाते से लिंक करा भुगतान हड़पा था। नांदी निवासी दलाल रणविजय यादव ने पेंशनर नत्थूराम यादव के खाते में भुगतान लेकर कमीशन लिया।

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