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प्रधानमंत्री के मंच से गूंजा चित्रकूट के 'पाठा' का जल संकट, अब बुझ रही प्यास

हेमराज कश्यप चित्रकूट बुंदेलखंड में पेयजल संकट की बात हो और चित्रकूट के पाठा क्षे˜

By JagranEdited By: Published: Fri, 19 Nov 2021 10:33 PM (IST)Updated: Fri, 19 Nov 2021 10:33 PM (IST)
प्रधानमंत्री के मंच से गूंजा चित्रकूट के 'पाठा' का जल संकट, अब बुझ रही प्यास
प्रधानमंत्री के मंच से गूंजा चित्रकूट के 'पाठा' का जल संकट, अब बुझ रही प्यास

हेमराज कश्यप, चित्रकूट : बुंदेलखंड में पेयजल संकट की बात हो और चित्रकूट के 'पाठा' क्षेत्र का जिक्र न आए, ऐसा संभव नहीं है। यहां से डेढ़ सौ किलोमीटर दूर महोबा में शुक्रवार को यह साफ झलका। करीब चार लाख लोगों की प्यास बुझाने वाली अर्जुन सहायक परियोजना की सौगात प्रधानमंत्री ने महोबा, हमीरपुर और बांदा जनपद के लिए दी, लेकिन उस मंच में भी पाठा का गीत 'गगरी न फूटे खसम मर जाए.. गूंजा, जिससे आस बंधी कि पाठा के बीहड़ में शुरू हुए जल संकट निदान के काम जल्द पूरे होंगे।

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चित्रकूट की मानिकपुर तहसील के करीब 150 गांवों का इलाका पाठा के नाम से जाना जाता है। यहां पर करीब 10 साल पहले तक पेयजल का संकट के दौरान गर्मी में घर की महिलाएं कई किलोमीटर से मटकी में पानी सिर पर रखकर लाती थीं। ददरी मड़ैयन इलाके की महिलाएं मंदाकिनी नदी के भौंरा दहाड़ से पानी लाती थीं। जब पानी लेकर घर के लिए लौटती थीं तो उनके जुबां पर पेयजल के संकट को बयां करता गीत 'एक टक सूप नौ टका गगरी, आग लगे रुकमा ददरी। भौंरा तोरा पानी गजब कर जाए, गगरी न फूटे खसम मर जाए.' होता था। इस गीत का मायने था कि पति (खसम) घर में प्यासा बैठा है, गगरी न फूटे नहीं तो वह प्यास से मर जाएगा। दैनिक जागरण ने 'बदहाली पाठा की' अभियान के तहत मुद्दा उठाया तो अब लोकगीत अतीत की बात हो गए हैं। धीरे-धीरे यहां जल जीवन मिशन से घर-घर पानी पहुंचाने की दिशा में कदम बढ़े हैं। हर घर नल का सपना साकार हो रहा है। हालांकि, अभी बुंदेलखंड में पेयजल की संकट की बात आने पर हर किसी के जेहन में इस लोकगीत की यादें ताजा हो जाती हैं। शुक्रवार को महोबा में केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने प्रधानमंत्री के भाषण से पहले अर्जुन सहायक परियोजना के लाभ का जिक्र किया। उस दौरान यह लोकगीत भी उनकी जुबां में आ गया। उनका संदेश था कि आने वाले समय में यह गीत लोगों के जेहन में जब-जब आएगा, तब-तब भाजपा की ओर से किए गए बदलाव भी याद किए जाएंगे। प्रधानमंत्री की जुबां पर दो बार आया चित्रकूट का नाम, किया गुणगान

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी अपने भाषण में दो बार चित्रकूट का जिक्र किया। एक बार कहा कि यही बुंदेलखंड, यही चित्रकूट है, जिसने प्रभु राम का साथ दिया, वन संपदा का लाभ दिया। समय के साथ यह क्षेत्र पलायन का केंद्र कैसे बन गया, क्यों यहां शादियां करने से लोग कतराने लगे, क्यों यहां की बेटियां पानी वाले क्षेत्र में शादी की कामना करने लगीं। इसके लिए उन्होंने 2014 से पहले की सरकारों को जिम्मेदार ठहराया। वहीं, दूसरी बार कहा कि यह तीर्थों का क्षेत्र है। गुरु गोरखनाथ का आशीर्वाद इसे मिला है। मां पीतांबरा, चित्रकूट का मंदिर, गीत संगीत, लोकगीत और वीरता यहां की पहचान है।


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