Move to Jagran APP

शक्ति आराधना से बुंदेलखंड के पर्यटन को दम

हेमराज कश्यप, चित्रकूट प्रभु श्रीराम की तपोभूमि चित्रकूट के साथ बुंदेलखंड पर्यटन की ²ष्टि स

By JagranEdited By: Published: Sun, 06 Jan 2019 09:52 PM (IST)Updated: Sun, 06 Jan 2019 09:52 PM (IST)
शक्ति आराधना से बुंदेलखंड के पर्यटन को दम
शक्ति आराधना से बुंदेलखंड के पर्यटन को दम

हेमराज कश्यप, चित्रकूट

loksabha election banner

प्रभु श्रीराम की तपोभूमि चित्रकूट के साथ बुंदेलखंड पर्यटन की ²ष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। अब यहां पर 'शक्ति आराधना' से पर्यटकों को लुभाया जाएगा। आठवीं से 13 वीं शताब्दी तक के 54 शक्ति स्थल बांदा और चित्रकूट में खोजे गए हैं। अब इन शक्ति स्थलों को विकसित कर पर्यटन को बढ़ावा दिया जाएगा।

104 है मध्यकालीन शक्ति स्थल

बांदा और चित्रकूट में एक शोध मे सामने आया है कि मध्यकालीन युग के यहां पर 104 शक्ति स्थल है। जो भारतीय समाज के शक्ति उपासना को दर्शाने के लिए काफी है। हालांकि इसमें 50 प्रतिमाएं विखंडित अवस्था पर है लेकिन 54 प्रतिमाएं ऐसी है जिन्हें नई ऊर्जा का संचार होता है लेकिन यह स्थल अभी लोगों को नजर से दूर है।

कुछ प्रमुख शक्ति स्थल

- कौमारी देवी छीबों (राजापुर) - 11 वीं शताब्दी

- विष्णुलक्ष्मी देवी चर (मानिकपुर) - 8-9 वीं शताब्दी

- असावर माता मंदिर लालापुर (मानिकपुर) - 10-11 वीं शताब्दी

- योगिनी देवी रैपुरा (चित्रकूट) - 10 वीं शताब्दी

- चामुंडा कालींजर किला बांदा - 10 वीं शताब्दी

- समोगर माता बेराउर (राजापुर) - 10-11 वीं शताब्दी

- ब्राह्मी देवी मंदिर इटहा देवीपुर (रामनगर)-10 वीं शताब्दी

- तिलहर दाई मंदिर ओरन (बांदा) - 10 वीं शताब्दी

- जगलक्ष्मी देवी मंदिर मुगूंस (बांदा)- 10 वीं शताब्दी

- महिषमार्दिनी देवी मंदिर बदौसा (बांदा)- 11 वीं शताब्दी

- योगिनी मंदिर रसिन (चित्रकूट) -9-10 वीं शताब्दी

- इंद्राणी देवी मंदिर लौरी (चित्रकूट) - 10 वीं शताब्दी

इनका कहना है

'भारतीय समाज अपने आरंभिक समय से ही देवी उपासना के प्रति उत्सुक रहा है यह देवी स्थल उसका प्रमाण है। बांदा-चित्रकूट में शोध पर सामने आया है कि 8 से 13 वीं शताब्दी के तमाम स्थल है।'

डा. शिवप्रेम याज्ञिक - इतिहासकार चित्रकूट।

:::::::::::::

'शक्ति स्थल सामने आए है कुछ तो पर्यटक विभाग की सूची में दर्ज है जो शामिल नहीं है उनको जल्द से जल्द शामिल कर स्थलों को विकसित किया जाएगा। ताकि पर्यटन को बढ़ावा दिया जा सके।'

शक्ति ¨सह - पर्यटक अधिकारी चित्रकूट।

:::::::::::

'रसिन और चर मंदिर पुरातत्व विभाग के संरक्षण में आ चुके है और भी ऐतिहासिक स्थलों को संरक्षण देने का काम किया जाएगा।' डॉ. रामनरेश पाल - क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी इलाहाबाद।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.