सब कहे मोरा, गुरु जी हिसाब लगाएं कहां गओ बोरा
जागरण संवाददाता, चित्रकूट : परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों को अब मिड-डे मील के लिए आने वाले
जागरण संवाददाता, चित्रकूट : परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों को अब मिड-डे मील के लिए आने वाले खाद्यान्न के बोरों का हिसाब रखना होगा। अब तक प्रधान, कोटेदार और रसोइया इन पर हक जताते थे। बोरे कहां जाते थे इसका पता ही नहीं चलता था। सोशल मीडिया पर भी ये आदेश चर्चा का विषय है। क्षेत्रीय भाषा में 'प्रधान कहे मोरा, कोटेदार कहे मोरा, रसोइया कहे मोरा और मास्टर साहब बैठ के लगाए हिसाब कहां गओ बोरा' का जुमला खूब वायरल हो रहा है।
प्रदेश के सभी परिषदीय स्कूलों में मध्याह्न भोजन योजना के लिए आपूर्ति किए जाने वाले खाद्यान्न के खाली बोरों का हिसाब रखना होगा। इसके लिए मध्याह्न भोजन प्राधिकरण उप्र के प्रभारी निदेशक मुमताज अहमद ने सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए हैं। त्वरित प्रभाव से योजना लागू भी कर दी गई है। वहीं इस नए फरमान में शिक्षक चिंतित हैं। उनका कहना है कि पढ़ाई कराएं, मिड-डे मील का ध्यान रखें या फिर बोरों को इकट्ठा करें।
वित्तीय वर्ष के अंत में होगी बिक्री
इन बोरों की नीलामी वित्तीय वर्ष के अंत में की जाएगी। इससे जो आय अर्जित होगी उसे स्कूलों में संसाधन व सुविधाएं मुहैया कराने में खर्च किया जाएगा। शासन को इसकी रिपोर्ट भी भेजनी होगी। कुछ इस तरह रखना होगा हिसाब
-खाली बोरों की गणना व वित्तीय व्यय के लिए विद्यालय स्तर पर अलग रजिस्टर बनेगा।
-उनकी बिक्री से मिलने वाली धनराशि व उसके इस्तेमाल का ब्योरा दर्ज करना होगा।
-बेचने से होने वाली आय का खर्च विद्यालय प्रबंध समिति करेगी।
-संबंधित खंड शिक्षा अधिकारी को समय-समय पर रिपोर्ट भेजी जाएगी। यहां लगेगी खाली बोरा बिक्री की आय
-तेल, मसाले, खाद्यान्न के रखरखाव के लिए कंटेनर खरीदने में।
-छात्र-छात्राओं को अतिरिक्त पोषक तत्व उपलब्ध कराने के लिए।
-मध्याह्न भोजन का मेन्यू व लोगो की वॉल पे¨टग कराने पर।
-किचन, गार्डन की बेहतरी से संबंधित सामग्री की खरीदारी।
-स्वच्छता के लिए जरूरी सामग्री को खरीदने के लिए।
-मध्याह्न भोजन योजना के सुदृढ़ीकरण व संवर्धन पर। मध्याह्न भोजन योजना में इस्तेमाल खाद्यान्न के खाली बोरों समेत सभी सामग्री को सुरक्षित रखने के निर्देश मिले हैं। वित्तीय वर्ष के अंत में इनकी बिक्री कर धनराशि एकत्रित की जाएगी। शिक्षकों को इससे अवगत करा दिया गया है।
-प्रकाश ¨सह, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी चित्रकूट।