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वोटर आइडी के बाद भी सूची में नाम न होने से भटकते रहे लोग

जागरण संवाददाता, चित्रकूट : मतदाता सूची में एक बार फिर गड़बड़ी सामने आई। लोगों को नाम ढ

By JagranEdited By: Published: Thu, 23 Nov 2017 03:00 AM (IST)Updated: Thu, 23 Nov 2017 03:00 AM (IST)
वोटर आइडी के बाद भी सूची में नाम न होने से भटकते रहे लोग
वोटर आइडी के बाद भी सूची में नाम न होने से भटकते रहे लोग

जागरण संवाददाता, चित्रकूट : मतदाता सूची में एक बार फिर गड़बड़ी सामने आई। लोगों को नाम ढूंढ़े नहीं मिले। नगरीय मतदाता जहां नाम को परेशान रहें तो ग्रामीण क्षेत्र के तमाम वोटर के नाम सूची में थे। बीआरसी में दो वोटर को लोगों की शिकायत पर एसडीएम ने पकड़ा भी और उनको बिना मतदान के बैरंग वापस किया। यदि मतदाता सूची में गड़बड़ी नहीं होती तो मतदान प्रतिशत और भी अधिक होगा।

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भले ही चुनाव के पहले निर्वाचन आयोग मतदाता सूचियों को दुरुस्त करने के लिए तमाम अभियान चलाता है लेकिन वोटर सूची में सुधार देखने को नहीं मिलता है। लोकसभा और विधानसभा चुनाव की तरह नगरीय निकाय चुनाव में भी वोटर मतदाता सूची में नाम को लेकर काफी हलाकान रहें। तमाम वोटरों के नाम काट दिए गए। जिन्होंने पहले के चुनाव में वोट किया था ऐसे भी तमाम लोगों के नाम इस बार सूची में नही थे। नगर पालिका से लेकर नगर पंचायत तक में देखने को मिला कि तमाम मतदाता वोटर पहचान कार्ड लिए मतदान करने को इधर से उधर प्रत्याशियों के बस्ते और बीएलओ के पास घूमते रहे लेकिन उनका नाम सूची से नदारत था। शंकर बाजार की सावित्री तो बीएलओ से लड़ तक गई और कहा कि अब उनके दरवाजे कर कोई प्रत्याशी वोट मांगने आएगा तो वह भगा देंगी। दो सौ रुपए की मजदूरी का नुकसान कर वोट डालने आई और यहां पर भी नुकसान उठाना पड़ा वोट नहीं डाल पाई। ऐसे ही द्वारिकापुरी के हरिश्चंद्र भी सूची में नाम न होने से काफी खफा थे। उनका कहना था कि उनके भाई अतर्रा में नौकरी करते हैं वह भी वोट डालने आए थे लेकिन दोनों भाई का नाम सूची में नही है।

गांव के लोगों के नाम जुड़े

मतदाता सूची में गड़बड़ी किसने की यह तो जांच में सामने आएगा लेकिन जो किया गया है वह काफी गलत है। सूची में तमाम ग्रामीण वोटरों के नाम थे जिनके पास उस पते की आईडी तक नहीं थी जो जहां पर उनका नाम सूची में है। ऐसे ही मामला नया बाजार के बीआरसी बूथ में देखने को मिला। यहां पर बालापुर के दो व्यक्तियों को एसडीएम रामदरस राम ने लोगों की शिकायत पर पकड़ा। उनके पास उस पते की आईडी ही नहीं थी जिस वार्ड में उनका नाम था। आईडी गांव की थी एसडीएम ने उन्हें इस हिदायत के साथ छोड़ दिया कि जहां पर नाम है वहां की आईडी लेकर आएं और वोट करें। यह तो एक उदाहरण है ऐसे और भी नाम थे।


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