परंपरा के साथ पर्यावरण संरक्षण का भी रखें ध्यान
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जासं, पीडीडीयू नगर (चंदौली) : होली पर्व के मद्देनजर होलिका बनाने में युवा शिद्दत से जुट गए हैं। जैसे-जैसे पर्व नजदीक आ रहा होलिका का आकार भी बढ़ता जा रहा है। लेकिन कुछ स्थानों पर प्रतिबंधित वृक्षों को काटकर होलिका बनाने के मामले भी देखने सुनने को मिल रहे हैं। ऐसे लोगों पर वन विभाग की नजर है। प्रतिबंधित वृक्षों को बगैर अनुमति काटने पर कड़ी कार्रवाई का प्रावधान है।
होलिका दहन के लिए अलाव का आकार बड़ा किया जा सके, इसके लिए सूखी लकड़ियों के साथ छोटे हरे पेड़ों को भी काटा जा रहा है। रंग, उत्साह, उल्लास के पर्व में डूबे लोग पर्यावरण संरक्षण को नजरअंदाज कर रहे हैं। सूखी लकड़ी खरीदने की बजाय लोग हरे पेड़ों की डाल काट दे रहे हैं। नगर में दर्जनों स्थानों पर छोटी-बड़ी होलिका बनती हैं और एक होलिका बनाने में 5-6 पेड़ काट दिए जाते हैं। जबकि परंपरा के साथ पर्यावरण का ध्यान रखना भी बेहद जरूरी है। डीएफओ मनोज खरे ने कहा 16 प्रकार के वृक्ष मसलन आम, शीशम, महुआ, सागौन, नीम, पीपल, बरगद, चीड़, देवदार, पालम आदि के काटने पर प्रतिबंध है। पकड़े जाने पर कड़ी कार्रवाई का प्रावधान है।