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आखिर पुलिस की गिरफ्त में कब आएगा सरगना शेरू

'एस गैंग'का सरगना शेरू अंसारी पुलिस के लिए सिरदर्द बना हुआ है। पुलिस की पांच टीमों की लगातार दबिश के 72 घंटे बाद भी'एस गैंग'का सरगना गिरफ्त में नहीं आ सका। हालांकि, इलाकाई पुलिस उसे शीघ्र पकड़ लेने का दंभ भर रही है। मालदह में हादसे को कारित करने वाले वाहन के चालक की पहचान भी नहीं हुई। रहवासियों की जुबां पर बस यही सवाल कि शेरू आखिर पुलिस के ¨पजड़े में कब कैद होगा।

By JagranEdited By: Published: Fri, 04 Jan 2019 09:32 PM (IST)Updated: Fri, 04 Jan 2019 09:32 PM (IST)
आखिर पुलिस की गिरफ्त में कब आएगा सरगना शेरू
आखिर पुलिस की गिरफ्त में कब आएगा सरगना शेरू

जासं, इलिया (चंदौली) : 'एस गैंग' का सरगना शेरू अंसारी पुलिस के लिए सिरदर्द बना है। पुलिस की पांच टीमों की लगातार दबिश के 72 घंटे बाद भी 'एस गैंग' का सरगना गिरफ्त में नहीं आ सका। हालांकि, इलाकाई पुलिस उसे शीघ्र पकड़ लेने का दंभ भर रही है। मालदह में हादसे को कारित करने वाले वाहन के चालक की पहचान भी नहीं हुई। रहवासियों की जुबां पर बस यही सवाल कि शेरू आखिर सलाखों के पीछे कब जाएगा।

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यूपी-बिहार सीमा से चंद दूरी पर चांद (बिहार) के शिवरामपुर गांव में ठिकाना बनाए गिरोह का सरगना बिहार में ही है। चकिया और नौगढ़ सर्किल के कुछ रूटों से पशु तस्करी अभी जारी है। तस्करी का तरीका जरूर बदल गया है। वाहन से नहीं, अब तो पशुओं को पैदल बिहार ले जाया जा रहा। दीवान-ए-मुकवा पहाड़ी पर जाल बिछाया जाए तो पुलिस को कामयाबी मिल सकती है। सूत्रों के ये दावे हैं। हादसा को कारित करने वाले वाहन की पहचान तो जरूर हो गई है लेकिन, अब तक चालक को भी पुलिस नहीं पकड़ सकी है। ऐसे में पुलिस से अपराध रोकने व अपराधियों की गिरफ्तारी की उम्मीद बेमानी होगी। पुलिस अधिकारी कर रहा मदद

सूत्रों के मुताबिक चकिया सर्किल में नियुक्त एक पुलिस अधिकारी गिरोह के सरगना की मदद कर रहा है। करे भी क्यूं न, तस्करी के खेल में वह आधे हिस्से का हकदार जो है। उस अधिकारी को हटाए जाने के बाद ही सरगना शेरू की गिरफ्तारी संभव है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता कि एक घटना में पुलिस को दो मुकदमे क्यों दर्ज करना पड़ा। सरगना शेरू के खिलाफ माथा पच्ची के घंटों बाद दर्ज की गई। दो साल इलिया थाने में जमे दारोगा को घटना की विवेचना दे दी गई। जब पुलिस सिस्टम ही संदेह के घेरे में हो तो मालदह गांव निवासी कल्लू राम को न्याय आखिर कैसे मिलेगा। यह यक्ष प्रश्न बन हुआ है। कोड से की जाती वसूली 

बॉर्डर के थाने तस्करी की वसूली के लिए नया तरीका अपनाए हैं। पशु, खनिज, लकड़ी आदि की तस्करी में वसूली को थाना प्रभारी बाकायदा 'कारखास' रखे हैं। वह कारखास ऐसे कांस्टेबल को नियुक्त करते हैं, जो उनका विश्वास पात्र या करीबी हो। चकिया और नौगढ़ सर्किल के थानों व चौकियों में इससे दत्त कुछ प्राइवेट वसूली करता भी हैं। सभी को प्रभारियों की कृपा से कोड मिला हुआ है। दिन में से¨टग के बाद अधिकांश तस्करी रात्रि में होती हैं। गश्त पर निकलने वाला दल यदि रोकता है तो कोड बता कर तस्कर चलते बनते हैं। क्योंकि प्रभारी का विरोध कर गैरकानूनी कार्य रोकना का हिम्मत पुलिसकर्मी नहीं जुटा पाते।

सरगना शीघ्र होगा गिरफ्त में

हादसे के बाद पुलिस अधीक्षक ने पांच टीमें बनाते हुए सरगना को पकड़ने का निर्देश दिए हैं। पुलिस क्षेत्राधिकारी चकिया को इसकी मॉनीट¨रग दी गई है। थाना प्रभारी अंकलेश ¨सह ने कहा शातिर तस्कर शेरू का लोकेशन पुलिस ने ट्रेस कर लिया है। उसे जल्द पकड़ लिया जाएगा।


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