मानसून की सुस्ती से चंदौली में नहीं बढ़ा बांधों का जलस्तर, रबी की खेती पर आएगा संकट
चंदौली में मानसून के दगा देने से खरीफ की खेती पर तो प्रभाव पड़ा ही है साथ ही बांधों में पानी भी कम होने से आगामी फसली सत्र के भी प्रभावित होने का खतरा अब बढ़ गया है।
चंदौली, जागरण संवाददाता। धान के कटोरे में मानसून के दगा देने से खरीफ की खेती पर तो प्रभाव पड़ा ही है, बांधों के जलस्तर में बढ़ोतरी नहीं होने से आने वाले दिनों में रबी की खेती पर भी संकट आएगा। हालांकि बीते दिनों मानसून की विदाई के दौरान एक दो दिन के अंतराल पर चार-पांच दिनों तक बारिश हुई, लेकिन बांधों के जलस्तर पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा। ऐसे में अन्नदाताओं को चिंता सता रही कि धान की खेती तो चौपट हो ही गई, गेहूं की खेती को लेकर भी परेशानी झेलनी पड़ेगी। इसके अलावा जिले में सहफसली खेती पर भी अब सूखे का खतरा मंडराने लगा है।
कृषि प्रधान जनपद में खरीफ के चालू सीजन में किसानों ने जून माह के प्रथम पखवारे में धान की नर्सरी डाल दी थी। जुलाई के प्रथम सप्ताह तक नर्सरी रोपाई के लिए पूरी तरह तैयार तो हो गई, लेकिन मानसून ने दगा दे दिया। जून माह के द्वितीय पखवारे में दो -तीन दिनों तक लगातार हल्की बारिश का सिलसिला जारी रहा। जुलाई में भी छिटपुट बारिश हुई, लेकिन अगस्त माह में रिमझिम बारिश ने किसानों को निराश किया। हालांकि सितंबर माह में एक दो दिन के अंतराल पर कहीं तेज तो कहीं हल्की बारिश हुई लेकिन बांधों के पेट पानी से नहीं भर पाए। जबकि बीते दिनों सिंचाई के लिए बांधों से पानी भी छोड़ा गया है।
बांधों का जलस्तर
भैसौड़ा - 910 के सापेक्ष 890 फीट
मूसाखांड़ - 357 के सापेक्ष 342
चंद्रप्रभा - 772 के सापेक्ष 738
नौगढ़ - 897 के सापेक्ष 880 फीट पानी मौजूद है।
बोले अधिकारी
मानसून सीजन में औसत से कम बारिश के कारण धान की खेती पर तो विपरीत प्रभाव पड़ा ही है। बांधों के जलस्तर में भी वृद्धि नहीं हो पाई है। यदि आने वाले दिनों में बारिश नहीं हुई तो रबी की खेती प्रभावित होगी।
बसंत कुमार दुबे, जिला कृषि अधिकारी।