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शौच के लिए ट्रेन चालकों को कासन व रुकने का इंतजार

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By JagranEdited By: Published: Sun, 13 Oct 2019 05:24 PM (IST)Updated: Sun, 13 Oct 2019 05:24 PM (IST)
शौच के लिए ट्रेन चालकों को कासन व रुकने का इंतजार
शौच के लिए ट्रेन चालकों को कासन व रुकने का इंतजार

जासं, पीडीडीयू नगर (चंदौली) : स्वच्छ रेल, सुंदर रेल का नारा बुलंद करने वाली रेलवे अपने चालकों की समस्या को नजरअंदाज किए हुए है। ड्यूटी के दौरान शौच के लिए चालकों को ट्रेन के रुकने का इंतजार करना पड़ता है। राजधानी व शताब्दी जैसी ट्रेनों की स्थित और भी खराब है। रेल मंत्रालय के पास इस समस्या का कोई निदान नहीं है। मुगलसराय मंडल में ड्राइवर, असिस्टेंट व शंटर मिलाकर कुल लगभग दो हजार चालक अपनी सेवा दे रहे हैं। सुरक्षा व संरक्षा के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं पर इस समस्या पर ध्यान नहीं दिया जा रहा। मुगलसराय रेल मंडल में कुल 1964 लोको पायलट कार्यरत हैं। इनमें 375 डीजल और 1589 इलेक्ट्रिक लोको पायलट शामिल हैं। रोजाना लाखों यात्रियों को सुरक्षित उनके गंतव्य तक पहुंचाने वाले चालकों के लिए शौच की कोई व्यवस्था नहीं है। वीआईपी गाड़यिों, राजधानी व शताब्दी एक्सप्रेस जैसी ट्रेनों के ड्राइवरों की हालत सबसे ज्यादा खराब है। कारण, इन ट्रेनों का पहला स्टाप ही तीन सौ से चार सौ किलोमीटर पर होता है। सवाल उठता है कि इस दौरान ड्राइवर को शौच की आवश्यकता महसूस हो तो वह कहा जाएगा। फिलहाल ड्राइवरों के लिए शौच की जो व्यवस्था है उसके तहत ट्रेन चलाने से पहले ही शौचालय हो आते हैं। रास्ते में आवश्यकता महसूस होने पर ट्रेन के अगले ठहराव के आने का इंतजार करता है। गाड़ी के रूकते ही चालक भागकर शौच के लिए जाते हैं। लंबी दूरी तक ट्रेन चलाते हैं चालक एक लोको चालक तकरीबन दस घंटे तक ट्रेन का परिचालन करता है। बोगियों में दोनों छोरों पर शौचालय की व्यवस्था है लेकिन इंजन में इस तरह की सुविधा नहीं है। जबकि प्रत्येक ट्रेन में दो ड्राइवर होते हैं, एक लोको पायलट और दूसरा सहायक लोको पायलट शामिल हैं। चालक इस समस्या के निदान की वर्षों से मांग करते चले आ रहे हैं लेकिन इसका निदान नहीं हुआ।

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वर्जन..

भविष्य में अगर कोई इंजन के डिजाइन में बदलाव होता है तो शौचालय की भी व्यवस्था कराई जा सकती है। वैसे लोको पायलटों की सुविधाओं का ध्यान रखा जाता है। पूरे भारतीय रेलवे में अभी पुरानी ही व्यवस्था है।

पंकज सक्सेना, मंडल रेल प्रबंधक, मुगलसराय मंडल, पूर्व मध्य रेलवे


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