हमीदपुर के ग्रामीणों ने किया विरोध, प्रदर्शन
पीडीडीयू नगर तहसील क्षेत्र के मिल्कीपुर में गंगा नदी के किनारे बने बंदरगाह से जीवनाथपुर रेलवे स्टेशन को जोड़ने के लिए प्रस्तावित रेल लाइन से ग्रामीणों में काफी आक्रोश है। शुक्रवार को ग्रामीणों ने समाजवादी मजदूर सभा के जिलाध्यक्ष चंद्रभानु यादव के नेतृत्व में हमीदपुर गांव में विरोध प्रदर्शन किया। चेताया कि जब तक किसानों को अधिग्रहित जमीन का उचित मुआवजा नहीं मिलेगा। तब तक वे रेल लाइन नहीं बिछाने देंगे। इसके लिए वे किसी भी हद तक लड़ाई लड़ने को तैयार हैं।
जासं, नियामताबाद (चंदौली) : पीडीडीयू नगर तहसील के मिल्कीपुर में गंगा नदी के किनारे बने बंदरगाह से जीवनाथपुर रेलवे स्टेशन को जोड़ने के लिए प्रस्तावित रेल लाइन से ग्रामीणों में आक्रोश है। शुक्रवार को ग्रामीणों ने समाजवादी मजदूर सभा के जिलाध्यक्ष चंद्रभानु यादव के नेतृत्व में हमीदपुर गांव में विरोध प्रदर्शन किया। चेताया कि जब तक किसानों को अधिग्रहित जमीन का उचित मुआवजा नहीं मिलेगा। वे रेल लाइन नहीं बिछाने देंगे। इसके लिए वे किसी भी हद तक लड़ाई लड़ने को तैयार हैं।
मिल्कीपुर में गंगा नदी के किनारे बने बंदरगाह को जीवनाथपुर रेलवे स्टेशन से जोड़ने के लिए रेलवे लाइन बिछाई जानी है। इसके लिए मिल्कीपुर, ताहिरपुर, हमीरपुर, पटनवा, गोपालपुर आदि गांव के किसानों की जमीन अधिग्रहित की जानी है। विभागीय अधिकारियों ने सर्वे के बाद जमीन का सीमांकन करना शुरू किया। इससे ग्रामीण आक्रोशित हो गए। समाजवादी मजदूर सभा के जिलाध्यक्ष व पूर्व ग्राम प्रधान चंद्रभानु यादव के नेतृत्व में ग्रामीणों ने विरोध प्रदर्शन किया। कहा कि औद्योगिक क्षेत्र की स्थापना के लिए पहले ही किसानों की जमीन ली जा चुकी है। इससे बहुत से किसान भूमिहीन भी हो गए हैं। जिन किसानों के पास कुछ जमीन बची है। उसे भी बंदरगाह को जीवनाथपुर रेलवे स्टेशन से जुड़ने के लिए बिछाई जाने वाली रेलवे लाइन के लिए अधिग्रहित किया जा रहा है। जो पूरी तरह से अवैधानिक है। इतना ही नहीं किसानों को अधिग्रहित की जाने वाली जमीन का मुआवजा भी नहीं दिया गया है। जमीन का मुआवजा सरकार सिर्फ साढ़े तीन लाख रुपया प्रति बिस्वा दे रही है। जबकि उक्त जमीन की कीमत 12 से 15 लाख रुपया प्रति बिस्वा है। जिला प्रशासन क्षेत्रीय किसानों की बगैर सहमति के उक्त जमीन को अधिग्रहित कर रहा है। किसान इसका विरोध करेंगे। चेताया कि यदि किसानों की मांगे पूरी नहीं हुई तो वे आंदोलन को बाध्य होंगे। सुमेर गोंड, शकीला बानो, नजमा बेगम, छेदीलाल, अंजनी यादव, अमरनाथ यादव, मुलायम पटेल, मोमिन, गुड़िया देवी, सुरेश सिंह, गोविद, जुम्मन, गुलजार, राजेंद्र आदि शामिल थे।