पारदर्शी हो वनाधिकार दावा निस्तारण की व्यवस्था
पारदर्शी हो वनाधिकार दावा निस्तारण की व्यवस्था
जासं, चकिया (चंदौली) : वनाधिकार कानून के तहत जंगलों में रहने वाले लोगों के दावों का निस्तारण पारर्दिशता के साथ किया जाना चाहिए। इसके लिए ग्राम, तहसील व जिला स्तर पर गठित समितियां बेहतर प्रदर्शन करके यह कार्य कर सकती हैं। यह बातें समाज कल्याण विभाग के विशेष सचिव धीरज कुमार ने रविवार को कही। वे तहसील सभागार में वन व राजस्व विभाग के अधिकारियों, कर्मचारियों की कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे।
कहा वनाधिकार समितियों का गठन ग्राम पंचायतों की मदद के लिए बना है। किसी भी बैठक को आहूत करने के बाद 50 फीसद वयस्क ग्रामीणों की उपस्थिति अनिवार्य है। समितियों के गठन में दो तिहाई सदस्य आदिवासी व अनुसूचित जाति के रहेंगे। जहां यह वर्ग नहीं है, उन गांवों में एक तिहाई महिलाओं को समिति का सदस्य बनाना अनिवार्य है। दावा दाखिल करने वाले लोगों के लिए नोटिस जारी करने का काम ग्राम सभा करेगी। दावे का निस्तारण समिति के अध्यक्ष, सचिव व ग्राम सभा करेगी। इनके द्वारा दावे का परीक्षण तीन माह के अंदर हर हाल में होना चाहिए। यदि किन्हीं वजहों से आवेदक के दस्तावेज अधूरे हैं तो उन्हें फिर से दाखिल करने का मौका दिया जाएगा। किसी भी दावे को रद करने से पहले आवेदक को अवश्य सुना जाए। स्वराज अभियान मंच के अजय राय ने वन भूमि से आदिवासियों को बल पूर्वक उजाड़ने की वन व प्रशासन की कार्रवाई पर नाराजगी जताया। बोले, वनाधिकार कानून में आस्था व कड़े संषर्घ के बाद कोर्ट के फैसले से न्याय मिला है। दावों के निस्तारण तक उनका कब्जा अतिक्रमण के नाम पर न हटाने की मांग की। विशेष सचिव ने आश्वस्त किया कि दावों को शीघ्र निस्तारित कर आदिवासियों का उनका हक दिलाया जाएगा। एसडीएम प्रदीप कुमार, नायब तहसीलदार प्रवीण सिंह, लोकेश द्विवेदी, सुशांत यादव, रामअशीष प्रजापति, संदीप चौबे, राम नरेश यादव सहित राजस्व व वन कर्मी उपस्थित थे।