मनरेगा में फर्जीवाड़ा रोकने की प्रक्रिया को लग रहा पलीता
मनरेगा में फर्जीवाड़ा रोकने की योजना पर फिरा पानी
यादवेंद्र सिंह, चंदौली
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महत्वाकांक्षी मनरेगा योजना को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने की शासन की मंशा कुछ अधिकारियों की लापरवाही की भेंट चढ़ती नजर आ रही है। जनपद में प्रवासी मजदूरों की वापसी के बाद मनरेगा के तहत धड़ाधड़ काम कराए जा रहे हैं, लेकिन अधिकतर कार्यस्थलों पर सिटिजन इन्फार्मेशन बोर्ड (सीआइबी) नहीं लगाए जा रहे हैं। इससे लोगों को कार्य के बाबत जानकारी नहीं मिल पा रही हैं। वहीं अधिकतर ग्राम पंचायतों में अभिलेखों के दुरुस्त नहीं होने की शिकायतें प्राप्त हो रही हैं। इससे कुछ अधिकारियों, कर्मचारियों और प्रधानों को मनमानी का मौका मिल जा रहा है।
कोरोना काल में मनरेगा योजना भले की श्रमिकों के लिए संजीवनी साबित हो रही हो लेकिन कुछ कर्मचारियों की कमाई का जरिया भी बन रही है। शासन के निर्देश पर जॉब कार्डधारकों और प्रवासी श्रमिकों को काम तो मुहैया कराया जा रहा है, लेकिन मानकों की अनदेखी भी हो रही है। दरअसल मनरेगा के तहत कार्य के प्रारंभ होने के साथ ही स्थलों पर सिटिजन इन्फार्मेशन बोर्ड स्थापित किया जाना अनिवार्य है। इसकी स्थापना का मुख्य उद्देश्य कार्य में पारदर्शिता लाने के साथ जवाबदेही तय करना है। आयुक्त ग्राम्य विकास स्तर से पूर्व में निर्देश भी दिया जा चुका है कि मनरेगा से कराए जाने वाले कार्यों में सीआइबी नहीं मिलने पर जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। बोर्ड नहीं लगे होने पर लागत का चार गुना जिम्मेदार अधिकारी व कर्मचारी से वसूला जाएगा। आदेशों के इतर जिले में लापरवाही बरती जा रही है और मनमाने तरीके से कार्य कराए जा रहे हैं। ऐसे में धन की बंदरबांट से भी इंकार नहीं किया जा सकता, जबकि अभिलेखों के दुरुस्त नहीं होने से जनसूचना अधिकार के तहत मांगी जा रही सूचनाएं भी लोगों को प्राप्त नहीं हो पा रहीं हैं। मनरेगा के कार्यो में सीआइबी लगाए जा रहे हैं। इसके लिए सभी कार्यक्रम अधिकारियों को निर्देश दिया गया है। बोर्ड लग भी रहे हैं, जहां नहीं लगाए गए हैं वहां जांचकर कार्रवाई की जाएगी।
-धर्मजीत सिंह, डीसी मनरेगा।