नाटी मंसूरी गेहूं की बोआई के लक्ष्य में बन रही बाधा
नाटी मंसूरी गेहूं की बोआई के लक्ष्य में बन रही बाधा
जागरण संवाददाता, चंदौली : धान के कटोरे में गेहूं बोआई के लक्ष्य में नाटी मंसूरी (धान की प्रजाति)बाधा उत्पन्न कर रही है। बालियों के देर से पकने के कारण कटाई के कार्य में तेजी नहीं आ पा रही। हालांकि आने वाले में एक सप्ताह में पचास फीसद फसल ही खेतों में शेष रह जाएगी। लेकिन कृषि विभाग की ओर से पंद्रह दिसम्बर तक बोआई का लक्ष्य पूर्ण होने में संशय बना हुआ है। विभाग का कहना है कि अधिकतम पंद्रह दिसम्बर तक गेहूं की बोआई हो जाएगी तभी उत्पादन में बढ़ोत्तरी होगी।
कृषि प्रधान जनपद में धान की नई-नई प्रजातियों के आने के बावजूद लगभग सत्तर फीसदी अन्नदाता परंपरागत रूप से नाटी मंसूरी की ही खेती कर रहे हैं। अबकी खरीफ के सीजन में समय से बारिश नहीं होने के कारण भी खेती प्रभावित हुई है। वहीं नाटी मंसूरी की बालियों के देर से पकने व खेतों में नमी के कारण गेहूं की बोआई का कार्य जोर नहीं पकड़ पा रहा है। 1,13 लाख हेक्टेअर में गेहूं की खेती
कृषि विभाग की ओर से रबी के चालू सीजन में एक लाख 13 हजार हेक्टेअर में गेहूं की खेती का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। उत्पादन प्रति हेक्टेअर 32 ¨क्वटल रखा गया है। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि गेहूं बोआई का उचित समय नवम्बर माह है। यदि देर से बोआई होती है तो अधिकतम पंद्रह दिसम्बर है। इसके बाद बोई गई फसल पर मौसम का प्रतिकूल प्रभाव तो पड़ेगा ही उत्पादन व गुणवत्ता में भी गिरावट आएगी। गेहूं की बोआई का उचित समय नवम्बर अंतिम तक है। अधिकतम पंद्रह दिसम्बर तक गेहूं की बोआई हो जानी चाहिए। इसके बाद बोई गई फसल के पैदावार पर विपरित प्रभाव पड़ेगा। नाटी मंसूरी के तैयार न होने से कटाई प्रभावित हो रही है। समय से बोआई को किसानों को जागरूक किया जा रहा है।
राजीव कुमार भारती, जिला कृषि अधिकारी