उप स्वास्थ्य केंद्र बीमार, जच्चा-बच्चा का कैसे हो उपचार
नक्सल प्रभावित क्षेत्र की स्वास्थ्य व्यवस्था बेपटरी हो चली है। इलाके के अधिकांश उप स्वास्थ्य केंद्र खुद बीमार पड़े हैं। गर्भवती महिलाओं व नवजात शिशुओं का चिकित्सा सुविधा नहीं मिल पा रही है। शासन बदहाल चिकित्सा सेवा को बेहतर बनाने को प्रयास कर रहा। लेकिन जिम्मेदार अफसर बेफिक्र हैं। बात कर रहे हैं पचवनियां गांव के उप स्वास्थ्य केंद्र की। इसकी हालत कुछ अधिक ही खराब है। ऐसे में जच्चा-बच्चा के इलाज को लोगों को मुश्किलें उठानी पड़ रही हैं।
जासं, चकिया (चंदौली) : नक्सल प्रभावित क्षेत्र की स्वास्थ्य व्यवस्था बेपटरी हो चली है। इलाके के अधिकांश उप स्वास्थ्य केंद्र खुद बीमार पड़े हैं। गर्भवती महिलाओं व नवजात शिशुओं का चिकित्सा सुविधा नहीं मिल पा रही है। शासन बदहाल चिकित्सा सेवा को बेहतर बनाने को प्रयास कर रहा। लेकिन जिम्मेदार अफसर बेफिक्र हैं। बात कर रहे हैं पचवनियां गांव के उप स्वास्थ्य केंद्र की। जच्चा-बच्चा के इलाज को लोगों को मुश्किलें उठानी पड़ रही हैं।
दरअसल, जच्चा-बच्चा को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने को गांव-गिरांव में उपस्वास्थ्य केंद्र खोले गए हैं। लेकिन, इसका लाभ ग्रामीणों को नहीं मिल पा रहा। आरोप कि शिकायत के बावजूद स्वास्थ्य अधिकारी भी लापरवाह बने हैं। यहां नियुक्त एएनएम कभी-कभार गांव में आती हैं और कागजी कोरमपूर्ति कर चली जाती हैं। इससे नवजात शिशुओं व गर्भवती महिलाओं को टीकाकरण के लिए भटकना पड़ता है। छह वर्ष पूर्व बना भवन जर्जर हो चुका है। यहां गंदगी का अंबार लगा है।एएनएम व आशा कार्यकर्ता नहीं आती हैं। गर्भवती महिलाओं के उपयोग को मेज, कुर्सियां, अलमारी, बेड (शैय्या) मिले थे, जिसका उपयोग अन्यत्र किया जा रहा। ग्रामीणों ने चेताया कि केंद्र की मरम्मत करा सेवा शीघ्र बहाल नहीं की कराई गई तो उग्र आंदोलन होगा।
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वर्जन..
Xह्नह्वश्रह्ल;उप स्वास्थ्य केंद्रों पर उपलब्ध संसाधनों से बेहतर इलाज करने का प्रयास होता है। पचवनियां का केंद्र निष्प्रयोज्य घोषित है। नए भवन के लिए प्रस्ताव भेजा जा चुका है। यदि उप स्वास्थ्य केंद्र या संबंधित गांव में एएनएम नहीं पहुंचती हैं और टीकाकरण, प्रसव आदि कार्य नहीं किए जाते हैं तो जांच कर कार्रवाई की जाएगी।
डा. सुजीत सिंह, प्रभारी चिकित्साधिकारी