पर्यवेक्षक, सचिव की अनुपस्थिति में मनरेगा की सोशल आडिट
मनरेगा व प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण में पारदर्शिता भागीदारी व जवाबदेही लाने को जनपद में कराई जा रही सोशल आडिट सरकारी मशीनरी की उदासीनता की भेंट चढ़ गई है। ग्राम सभा की खुली बैठक में न तो पर्यवेक्षक उपस्थित हो रहे और ना ही ग्राम पंचायत सचिव। मजे की बात की कहीं ग्राम रोजगार सेवक तो किसी ग्राम पंचायत में तकनीकी सहायक की अनुपस्थिति बनी हुई है। ऐसे में आडिट की मंशा पर सवाल खड़े हो गए हैं। सोशल आडिट नि
जासं, चंदौली : मनरेगा व प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण में पारदर्शिता, भागीदारी व जवाबदेही लाने को जनपद में कराई जा रही सोशल आडिट सरकारी मशीनरी की उदासीनता की भेंट चढ़ गई है। ग्राम सभा की खुली बैठक में न तो पर्यवेक्षक उपस्थित हो रहे और ना ही ग्राम पंचायत सचिव। मजे की बात की कहीं ग्राम रोजगार सेवक तो किसी ग्राम पंचायत में तकनीकी सहायक की अनुपस्थिति बनी हुई है। ऐसे में आडिट की मंशा पर सवाल खड़े हो गए हैं।
सोशल आडिट निदेशालय के निर्देश पर जिला प्रशासन की ओर से धानापुर, चहनियां, नियामताबाद व शहाबगंज विकास खंड में आडिट का कार्य संपन्न कराना है। 19 अगस्त से आडिट का कार्य आरंभ है। इसमें वित्तीय वर्ष 2018-19 में मनरेगा व पीएम आवास के तहत कराए गए कार्यों की आडिट की जा रही है। ब्लाक रिसोर्स पर्सन व ब्लाक कोआर्डिनेटर के साथ चार सदस्यीय टीम लगाई गई है। एक ग्राम पंचायत में तीन दिवसीय आडिट में तीसरे दिन ग्राम सभा की खुली बैठक में जिला प्रशासन की ओर से नामित पर्यवेक्षक, ग्राम सचिव, तकनीकी सहायक व ग्राम रोजगार सेवक की उपस्थिति सुनिश्चित की गई है, लेकिन विडंबना यह कि पर्यवेक्षक ग्राम सभा की खुली बैठक में नहीं पहुंच रहे। कमोवेश यही स्थिति ग्राम पंचायत सचिव की भी है। रही बात तकनीकी सहायक व ग्राम रोजगार सेवक की तो इनकी भी उपस्थिति शत-प्रतिशत नहीं हो पा रही। ऐसे में खुली बैठक में आने वाले प्रकरण में जवाबदेही तय नहीं हो पा रही। जवाबदेही तय नहीं होने से प्रकरण का निस्तारण नहीं हो पा रहा। ऐसे में आडिट की पारदर्शिता पर प्रश्न चिह्न खड़ा होना लाजिमी है। वहीं मनरेगा व प्रधानमंत्री आवास के तहत कराए गए कार्यो की पत्रावली भी समय से उपलब्ध नहीं कराई जा रही। इतना ही नहीं पीएम आवास की सेक सूची नहीं मिलने से सत्यापन कार्य में टीम को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि आडिट टीम की ओर से मनरेगा मजदूरों को जागरूक करने का भरपूर प्रयास किया जा रहा है। बहरहाल सरकारी मशीनरी की उदासीनता के कारण सोशल आडिट की मंशा पर पानी फिर रहा है। ''ग्राम सभा की खुली बैठक में उपस्थिति को पर्यवेक्षक नामित किए गए हैं। खंड विकास अधिकारियों को भी आडिट में अपेक्षित सहयोग को निर्देशित किया गया है। उपस्थिति सुनिश्चित कराने का प्रयास किया जाएगा।''
-पद्मकांत शुक्ल, जिला विकास अधिकारी।