श्रीराम के वनवास से अवधपुरी में छा गई उदासी
भगवान श्रीराम दीन-दुखियों पर कृपा करने वाले हैं। तभी तो उन्हें करुणानिधान कहा गया है। वे जिस मार्ग से निकलते हैं सब नर-नारी उनपर फूलों की वर्षा कर रहे हैं। उनके समान इंद्र की पुरी अमरावती भी नहीं। यह कथा आचार्य नीरजानंद शास्त्री ने रविवार की देरशाम सुनाया। वे सिकंदरपुर गांव में आयोजित नौ दिवसीय संगीतमय श्रीराम कथा की चौथी निशा पर श्री रामचंद्र जी के वन गमन की कथा का श्रद्धालुओं को रसपान करा रहे थे।
जासं, चकिया (चंदौली) : भगवान श्रीराम दीन-दुखियों पर कृपा करने वाले हैं। तभी तो उन्हें करुणानिधान कहा गया है। वे जिस मार्ग से निकलते हैं, सब नर-नारी उन पर फूलों की वर्षा कर रहे हैं। उनके समान इंद्र की पुरी अमरावती भी नहीं। यह बातें आचार्य नीरजानंद शास्त्री ने रविवार की देर शाम सिकंदरपुर गांव में आयोजित नौ दिवसीय संगीतमय श्रीराम कथा की चौथी निशा पर कहा। वे श्रीराम के वन गमन की कथा का श्रद्धालुओं को रसपान करा रहे थे।
जिस वृक्ष के नीचे प्रभु बैठते हैं, कल्पवृक्ष भी उसकी बड़ाई करते हैं। श्रीराम का आगमन सुनकर महर्षि वाल्मीकि उन्हें लेने के लिए आए। प्रभु ने उन्हें दंडवत किया। चित्रकूट में प्रवेश करने पर सभी मुनि जन भगवान की छवि देखने को आतुर हो गए। इधर, लक्ष्मण सहित श्रीराम-जानकी के वन गमन के बाद अवधपुरी में हर तरफ उदासी छा गई है। श्रीराम के वियोग में महाराज दशरथ ने प्राण त्याग दिए। नगर में यह खबर फैलते ही सभी शोकाकुल हो गए। जागृति सेवा समिति के सदस्यों ने भव्य आरती के पश्चात प्रसाद का वितरण किया। पूर्व प्रधान राजीव पाठक, शीतला केशरी, विजय चौरसिया, प्रियम गुप्ता, हीरालाल, संदीप मिश्र आदि श्रद्धालु उपस्थित थे।