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शिखर पुरुष की दिल्ली में थमीं सांसें, चंदौली में शोक की लहर

¨हदी आलोचना के शिखर पुरुष कहे जाने वाले डॉ नामवर ¨सह के शोक की खबर सुनते ही पूरा क्षेत्र सदमे में डूब गया।लोगो को पता है की ¨हदी आलोचना के शिखर पुरुष के नाम से जाने जाने वाले अब कभी भी लौट के अपने गांव नही आएंगे।लोगो से मिली जानकारी के अनुसार

By JagranEdited By: Published: Wed, 20 Feb 2019 09:56 PM (IST)Updated: Wed, 20 Feb 2019 11:44 PM (IST)
शिखर पुरुष की दिल्ली में थमीं सांसें, चंदौली में शोक की लहर
शिखर पुरुष की दिल्ली में थमीं सांसें, चंदौली में शोक की लहर

जासं, धानापुर (चंदौली) : अंतरराष्ट्रीय पटल पर चंदौली को अपनी ख्याति से पहचान दिलाने वाले आलोचना के शिखर पुरूष ने बुधवार रात दिल्ली में अंतिम सांसे ली। उनके निधन की खबर सुबह मिली तो उनके गांव के ही नहीं जिले भर के लोग शोकाकुल हो उठे। पास-पड़ोस के लोगों के दिलो, दिमाग में उनकी यादें जरूर ताजा हो उठीं। इस बात को लेकर आंखें नम हो गईं कि ¨हदी आलोचना के शिखर पुरुष अब फिर से अपने गांव कभी लौटकर नहीं आएंगे।

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जीयनपुर गांव निवासी शिक्षक नाहर ¨सह के तीन पुत्रों में डा. नामवर ¨सह सबसे बड़े थे। उनका दोनों भाइयों रामजी ¨सह एवं डॉ. काशीनाथ ¨सह के साथ बचपन गांव में बीता था। बचपन से ही मेधावी रहे डॉ. ¨सह समय बीतने के साथ महान आलोचक के रूप में पूरे देश में छा गए। हालांकि, सफलता की ऊंचाइयों को छूने के साथ बढ़ी व्यस्तता के कारण दिल्ली में ही रहने लगे थे। उनके भाई जरूर बनारस में रहने लगे थे। ग्रामीणों ने बताया कि दिल्ली में रहने के बावजूद नामवर ¨सह का गांव के प्रति मोह कभी कम नहीं हुआ। विराट था चाचा जी का व्यक्तित्व

धानापुर : भतीजा अनिल ¨सह ने बताया कि चाचा जी का व्यक्तित्व जितना विराट था, वे उतने ही सरल भी थे। अपने लोगों के बीच वे भोजपुरी में ही बोलना पसंद करते थे। क्षेत्र का कोई व्यक्ति दिल्ली में जब उनसे मिलता तो वे उससे गांव और बड़े-बुजुर्गों का हाल चाल पूछते। घर के छोटे सदस्यों से भी वे बेहद विनम्रता से मिलते रहते थे। कभी-कभी यकीन नहीं होता था कि हमारे बीच में बेहद सामान्य जीवन जीने वाले चाचाजी साहित्य के इतने ऊंचे शिखर पर बैठे हैं। जहां पहुंचना हर किसी के वश की बात नहीं। मनई को लगा गहरा आघात

धानापुर : प्रहलादपुर गांव निवासी 72 वर्षीय मनई कुशवाहा करीब 50 वर्षों से उनके पैतृक घर की देखभाल करते हैं। वे अपने पूरे परिवार के साथ जीयनपुर स्थित डॉ. नामवर ¨सह के मकान में रहकर उनकी खेती किसानी का काम देखते हैं। मनई को उनकी मृत्यु की जानकारी हुई तो उन्हें बेहद आघात लगा।


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