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रजिस्ट्री बाजार पर छाया मंदी का साया

दीपावली व धनतेरस पर्व भी सहायक निबंधक विभाग (रजिस्ट्री) की खोई रंगत नहीं लौटा सका। रजिस्ट्री बाजार पर मंदी का साया है। जमीन खरीद-फरोख्त की जटिलताएं भी रही-सही कसर पूरी कर दे रहीं। ऐसे में कर्मियों का दिन खरीदार और विक्रेताओं के इंतजार में बीत रहा।

By JagranEdited By: Published: Sat, 26 Oct 2019 08:09 AM (IST)Updated: Sat, 26 Oct 2019 08:09 AM (IST)
रजिस्ट्री बाजार पर छाया मंदी का साया
रजिस्ट्री बाजार पर छाया मंदी का साया

जागरण संवाददाता, चंदौली : दीपावली व धनतेरस पर्व भी निबंधन विभाग (रजिस्ट्री) की खोई रंगत नहीं लौटा सका। रजिस्ट्री बाजार पर मंदी का साया है। जमीन खरीद-फरोख्त की जटिलताएं भी रही-सही कसर पूरी कर दे रही हैं। ऐसे में कर्मियों का दिन खरीदार और विक्रेताओं के इंतजार में बीत रहा। गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष रजिस्ट्री में हर माह तकरीबन एक करोड़ रुपये की कमी आई है। इसके चलते लक्ष्य पूरा करना विभाग के लिए चुनौती बन गया है।

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कई माह से मंदी का दौर जारी है। रजिस्ट्री पर इसका प्रतिकूल असर पड़ रहा। जमीन की खरीद-फरोख्त में तेजी से गिरावट आई है। रजिस्ट्री विभाग के आंकड़े बताते हैं कि गत वर्ष की तुलना में हर माह 90 लाख से एक करोड़ तक की कमी आ रही है। अक्टूबर माह के लिए निर्धारित 5.74 करोड़ के लक्ष्य से विभाग काफी पीछे चल रहा। अभी तक 3.77 करोड़ की रजिस्ट्री हुई है। दीपावली और भइया दूज की छुट्टी के बाद इस माह चार दिन रजिस्ट्रार कार्यालय खुला रहेगा। ऐसे में लक्ष्य पूरा होना मुमकिन नहीं दिख रहा। जुलाई 2018 में 5.72 करोड़ की रजिस्ट्री हुई थी। इस वर्ष जुलाई में 5.52 करोड़ की रजिस्ट्री हुई। तकरीबन 20 लाख की कमी आई। अगस्त में रजिस्ट्री का ग्राफ बढ़ा और गत वर्ष की तुलना में करीब 84 लाख अधिक की रजिस्ट्री हुई। 2018 में 4.43 और 2019 में 5.27 करोड़ की रजिस्ट्री हुई, लेकिन सितंबर माह में फिर जमीन की खरीद-फरोख्त करने वालों का टोटा हो गया। 2018 में 3.77 करोड़ की रजिस्ट्री हुई थी। इस वर्ष यह आंकड़ा मात्र 2.85 करोड़ पर ही अटक गया। कुल मिलाकर तकरीबन 91 लाख का घाटा हुआ। विभागीय अधिकारियों की मानें तो इस साल रजिस्ट्री में करीब छह से आठ करोड़ की कमी आएगी। इससे लक्ष्य पूरा करना आसान नहीं होगा। वहीं लाखों रुपये राजस्व की क्षति भी होगी। नकदी पर सख्ती व जटिलताओं का असर

20 हजार से अधिक नकदी लेन-देन पर रोक और बड़े बैनामा को लेकर जटिल प्रक्रिया के चलते खरीदार व विक्रेता जमीन की रजिस्ट्री कराने से कतरा रहे हैं। बड़ी मालियत की रजिस्ट्री पर विजिलेंस की नजर रहती है। खाते में पैसा पहुंचने के बाद विक्रेताओं को हैकरों का खौफ भी सताने लगता है। ''इस वर्ष रजिस्ट्री में गिरावट आई है। हर माह 90 लाख से एक करोड़ तक की कमी हो रही। ऐसे में हर माह लक्ष्य पूरा करना मुश्किल साबित हो रहा। राजस्व की भी क्षति हो रही है।''

-रामसुंदर यादव, सहायक निबंधक।


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