श्रीकृष्ण व सुदामा की मित्रता का मंचन देख भक्त भाव विभोर
जासं, पीडीडीयू नगर(चंदौली) : मारवाड़ी युवा मंच की ओर से अग्रवाल सेवा संस्थान में आयोजित दस दिवसीय रास
जासं, पीडीडीयू नगर(चंदौली) : मारवाड़ी युवा मंच की ओर से अग्रवाल सेवा संस्थान में आयोजित दस दिवसीय रासलीला के छठवें दिन सोमवार को बरसाने से आए कलाकारों ने महारास के साथ भगवान श्रीकृष्ण व सुदामा की मित्रता का नृत्य के माध्यम से चित्रण किया। महारास में मयूर नृत्य व चक्र नृत्य की भी मनोरम प्रस्तुति की गई। श्रीकृष्ण व सुदामा की मित्रता का मंचन देखकर श्रद्धालु भाव विभोर हो गए। महाआरती में भक्त उमड़े रहे।
लीला में सुदामा जी उज्जैन नगरी स्थित शांति वन गुरुकुल में शिक्षा ग्रहण के लिए जा रहे थे। रास्ते में उनके पैर में कांटा गड़ गया। इस पर वे दर्द से चीखने चिल्लाने लगे। उसी रास्ते से होकर भगवान श्रीकृष्ण भी गुरुकुल शिक्षा ग्रहण करने जा रहे थे। सुदामा को मुसीबत में देख उन्होंने उनके पांव से कांटा निकाला और जड़ी बूटी लगाई। इस घटना के बाद दोनों मित्र बन गए। गुरुकुल में शिक्षा ग्रहण के दौरान सुदामा अपना पाठ भूल गए। गुरु द्वारा पूछे जाने के बाद उन्होंने पाठ नहीं सुनाया। इस पर गुरु ने उन्हें जंगल जाकर लकड़ी लाने को कहा। मित्र को मुसीबत में देख भगवान भी अपने याद किए पाठ को भूलने का नाटक कर बैठे। क्रोधित गुरु ने उन्हें भी सुदामा के साथ जंगल से लकड़ी लाने का आदेश दिया। भूख लगने पर खाने के लिए सुदामा को दो मुट्ठी चने दिए। जंगल में कृष्ण लकड़यिां लाने चले गए। उसी समय सुदामा को भूख लगी और उन्होंने पूरा चना खा लिया। पढ़ाई पूरी करने के बाद श्रीकृष्ण मथुरा के राजा बन गए और सुदामा भिखारी। श्रीकृष्ण ने सुदामा के लाए चावल खाने शुरू किए। एक मुट्ठी खाकर एक तथा दूसरी मुट्ठी चावल खाकर जब उन्होंने सुदामा को दो लोक का मालिक बना दिया। जब वे तीसरी मुट्ठी चावल खाने लगे तो वहां खड़ी रुक्मिणी ने उन्हें रोककर कहा कि तीनों लोक सुदामा को दे देंगे तो स्वयं कहां रहेंगे प्रभु। इस पर श्रीकृष्ण ने अपने हाथ रोक लिए और सुदामा को दो लोक का मालिक बना दिया। आत्माराम तुलस्यान, आनंद तोदी, विष्णुकांत अग्रवाल, मुरारी भुतिया, अजय जालान, मोहित अग्रवाल, मनोज मोदनवाल आदि उपस्थित थे।