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विद्यालय के शौचालय बदहाल, जाएं तो जाएं कहां..

स्वच्छता को लेकर सरकार करोड़ों रूपये पानी की तरह बहा रही है। गांव-गांव में शौचालय का निर्माण कराया जा रहा है। पर परिषदीय विद्यालयों के बदहाल पड़े शौचालय की ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। नतीजा है कि दर्जनों प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक विद्यालयों के शौचालय निष्प्रयोज्य होने से छात्र समेत शिक्षक उपयोग नहीं करते हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 13 Sep 2018 08:48 PM (IST)Updated: Thu, 13 Sep 2018 08:48 PM (IST)
विद्यालय के शौचालय बदहाल, जाएं तो जाएं कहां..
विद्यालय के शौचालय बदहाल, जाएं तो जाएं कहां..

जासं, चकिया (चंदौली): स्वच्छता को लेकर सरकार करोड़ों रूपये पानी की तरह बहा रही है। गांव-गांव में शौचालय का निर्माण कराया जा रहा है। परिषदीय विद्यालयों के बदहाल पड़े शौचालय की ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। नतीजा है कि दर्जनों प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक विद्यालयों के शौचालय निष्प्रयोज्य होने से छात्र समेत शिक्षक उपयोग नहीं करते हैं। खुले में शौच करना मजबूरी बन गयी है। सबसे ज्यादा परेशानी शिक्षिकाओं व छात्राओं को होती है।

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विकास क्षेत्र के 123 प्राथमिक व 53 पूर्व माध्यमिक विद्यालय के अधिकांश शौचालयों की स्थिति दयनीय पड़ी हुई है। परिषदीय विद्यालय के शौचालयों की ओर नजर दौड़ाए तो धरदे, दाउदपुर, महादेवपुर कला, डकही, भूसिया, कुदरा, भरेहटा कला, तिलौरी, कुंडा हेमैया, हेतिमपुर, टकटकपुर, गायघाट, सुरथापुर जीयनपुरां, लठिया कला, मुबाकरपुर, पर्वतपुर, हिनौती दक्षिणी, सदापुर, जोगिया कला, चितौड़ी प्राथमिक व रतिगढ़, सदापुर, जीयनपुरा, गायघाट, प्रभु नारायनपुर, मुडहुआ दक्षिणी,दुबेपुर माफी, फिरोजपुर के पूर्व माध्यमिक विद्यालय का शौचालय निष्प्रयोज्य पड़ा हुआ है।

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पानी की टंकी गायब

परिषदीय विद्यालय में बने शौचालयों में पानी सुलभ कराने के लिए 10 वर्ष पूर्व टंकी व लोहे की पाइप लाइन बिछाकर टोंटी लगाई गई। सरकारी पंप से कनेक्शन टंकी में लगाया गया। व्यवस्था थी कि हैंडपंप चलाने पर पानी का कुछ हिस्सा टंकी में पहुंच जायेगा। अधिकांश परिषदीय विद्यालयों के सिनटैक्स की टंकी गायब हो गई या फिर क्षतिग्रस्त हो गई।

प्रधानाध्यापक व जनप्रतिनिधि जिम्मेदार

विद्यालयों के शौचालयों की बदहाल स्थिति के प्रति नियुक्त प्रधानाध्यापक के अलावा गांव के जनप्रतिनिधि जिम्मेदार हैं। शिक्षा के साथ सुविधाओं के प्रति नजर अंदाज होने के चलते खामियाजा छात्र व शिक्षक भुगत रहे हैं। धरदे समेत कई विद्यालय के छात्र शौचालय सुलभ कराने को लेकर मुखर हो चुके हैं। लेकिन जिम्मेदरान मौन साधे हुए हैं। सबसे अधिक परेशानी चहार दिवारी व शौचालय विहीन विद्यालयों में तैनात छात्राओं व शिक्षिकाओं को हो रही है।

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निष्प्रयोज्य शौचालयों को दुरुस्त करने को ग्राम प्रधानों को निर्देशित किया गया है। कई ग्राम प्रधानों ने विद्यालयों के शौचालयों की मरम्मत कराना शुरू कर दिया है। प्रधान गंभीर नहीं है तो उन्हें जागरूक कर सजग किया जायेगा।

सरिता ¨सह, खंड विकास अधिकारी


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