जीतोड़ मेहनत के बाद फसलों पर आग का खतरा
जागरण संवाददाता, चंदौली: किसानों की जीतोड़ मेहनत के बाद फसल तो तैयार हो गई पर उसे चारो
जागरण संवाददाता, चंदौली: किसानों की जीतोड़ मेहनत के बाद फसल तो तैयार हो गई पर उसे चारों ओर से विपदाओं ने घेर रखा है। ऐसे में फसल सुरक्षित घर पहुंच जाए, यह बड़ी बात होगी। क्योंकि न तो खेतों में खड़ी फसल पर से गुजर रहे बिजली के जर्जर तार बदले गए न ही आग पर काबू पाने का विशेष इंतजाम है। ऊपर से तेज हवा, तापमान में बढ़ोत्तरी फसल के लिए काल बने हैं। बिजली व अग्निशमन विभाग का दावा है कि इस वर्ष आग पर खेतों में लगने वाली आग पर काबू पाने की उनकी तैयारी मुकम्मल है। आने वाले समय में ही फैसला होगा कि वे वादों पर कितने खरे उतरे।
पिछले वर्ष गर्मी में कुल 45 स्थानों पर खेतों में खड़ी फसलों व खलिहानें में आग लगी थी। अग्निकांडों में गेहूं सहित दलहनी व तिलहनी की लाखों रुपये की फसल आग की भेंट चढ़ गई थी। अग्निकांड की वजह खेतों के ऊपर से गुजरी हाइटेंशन लाइन बनीं थी। 33 व 11 हजार वोल्ट के तारों के टूटकर फसल पर गिरने से आग लगती है। तेज हवाएं आग को भड़काने का काम करती है। किसान आग पर काबू पाने में असफल ही साबित होते हैं। सीमित संसाधनों के सहारे चल रहा अग्निशमन विभाग भी आग बुझाने में कारगर साबित नहीं होता। अग्निशमन विभाग के पास छोटे मोटर फायर इंजन ज्यादा हैं। इनमें पानी रखने की सुविधा नहीं होती। ये खेतों के आसपास के तालाबों, पोखरों या नहरों के पानी से आग पर काबू पाते हैं। विभाग के पास केवल तीन बड़े मोटर फायर इंजन हैं। इनमें एक की क्षमता चार हजार पांच सौ व दो की क्षमता ढ़ाई हजार लीटर पानी ढोने की है। अगलगी में नुकसान की क्षतिपूíत के लिए बनाए गए नियमों में पेचीदगी की वजह से किसानों के नुकसान की भरपाई भी नहीं हो पाती है। बदले जा रहे जर्जर विद्युत तार : एक्सईएन
मुगलसराय के एक्सईएन प्रवीण ¨सह ने बताया, खेतों के ऊपर से गुजरे बिजली के जर्जर तारों को बदलने का कार्य युद्धस्तर प्रयास जारी है। ढीले व लटक रहे तारों को लकड़ी की खपच्ची से बांधकर टाइट किया जा रहा है। इसके अलावा तारों पर से बिजली का भार कम किया जा रहा है। ओवरलोड से बचने के लिए तारों पर से लोड विभाजित किया जा रहा है। इसके अलावा गेहूं के फसल की कटाई आरंभ होने के बाद दिन में तेज हवा चलने पर बिजली की कटौती बढ़ा दी जाएगी। विभाग का पूरा प्रयास रहेगा कि फसलों को अगलगी की घटनाओं से सुरक्षित रखा जाए। तीन फायर टेंडरों से पाया जाएगा काबू फसलों में आग लगने पर किसानों को अग्निशमन विभाग से ही उम्मीद होती है। सीएफओ सुभाष ¨सह ने बताया, फायर सीजन के ²ष्टिगत विभाग की ओर से जनपद के चंदौली, मुगलसराय व चकिया में तीन फायर टेंडर स्थापित किए गए हैं। आग पर शीघ्र काबू करने के लिए विभाग के कर्मचारी इन टेंडरों पर तैनात रहते हैं। गर्मी में सूख जाते अधिकांश तालाब जनपद के तालाबों की बात की जाए तो गर्मी में अधिकांश सूख जाते हैं। अग्निशमन विभाग ने जिले में पानी से भरे रहने वाले तालाबों व पोखरों को चिन्हित कर लिया है। इसके अलावा खेतों के आसपास के गांवों, कस्बों, इंडस्ट्रीयल एरिया व इंडियन आयल के डिपो से भी आवश्यकता पड़ने पर पानी लेकर आग पर काबू पाए जाने की योजना है। सीमित साधनों से काम चला रहा फायर विभाग
अग्निशमन विभाग में सुविधाओं की कमी है। मैन पॉवर का भी घोर अभाव है। विभाग का मुख्यालय लगभग 50 वर्षों से किराए के भवन व जमीन में चल रहा है। मुख्य अग्निशमन अधिकारी ने बताया, जनपद के पांच तहसीलों के सापेक्ष कम से कम छह बड़े फायर टेंडर होने चाहिए। उपलब्ध फायर टेंडरों में कुछ तो लगभग 20 वर्ष पुराने हो चले हैं। इनसे काफी सावधानी से कार्य लेना पड़ता है। कई कर्मचारियों की कमी भी आग पर काबू पाने में बाधक साबित होती है। एक साथ दो या तीन स्थानों पर आग लगने पर मुश्किल होती है। दो सहायक अग्निशमन अधिकारियों में एक भी नियुक्त नहीं है। चार फायर दरोगा के सापेक्ष एक ही नियुक्त है। सिपाहियों की संख्या भी 42 के सापेक्ष 33 ही है। फसल को आग से बचाने के उपाय
मुख्य अग्निशमन अधिकारी ने बताया, कि किसानों को फसलों की रखवाली बढ़ानी चाहिए। खेतों के आसपास धूमपान नहीं करना चाहिए। खेतों से गुजरी जर्जर लाइनों को विद्युत विभाग में शिकायत कर बदलवाना चाहिए। आबादी से सटे खेतों में चूल्हे की राख को बुझाकर ही फेंकना चाहिए। खलिहानों में ड्रम आदि में हमेशा पानी भरकर रखना चाहिए ताकि आग लगने पर काबू पाने में सहायता मिले।
फसल जलने पर मुआवजे का प्रावधान
अग्निकांड में फसल जलने पर सरकार ने भरपाई का प्रवधान रखा है। विद्युत एक्सईएन ने बताया, बिजली के तारों से निकली ¨चगारी या उनके टूटकर गिरने से जली फसल का विभाग मुआवजा देता है। किसान के प्रार्थनापत्र मिलने पर संबंधित लेखपाल से नुकसान का आकलन कराया जाता है। इसके बाद चेक के माध्यम से भुगतान कर दिया जाता है। कहा, खेतों में आग लगने की सूचना किसान संबंधित विद्युत उपकेंद्र पर दे सकते हैं। इसके बाद सप्लाई रोक दी जाती है।