जिला अस्पताल में रिगर का टोटा, प्रसूताओं के उपचार में बाधा
सरकारी अस्पतालों में प्रसव बढ़ाने की कवायद की जा रही। लेकिन स्वास्थ्य महकमा की लापरवाही इसमें बाधा बन रही। पंडित कमलापति त्रिपाठी जिला संयुक्त चिकित्सालय में गिरते रक्तचाप को बढ़ाने में कारगर रिगर दवा का पिछले एक पखवारे से टोटा है। हालत गंभीर होने पर प्रसूताओं को अन्यत्र रेफर करना पड़ रहा। ऐसे में मरीजों को तमाम तरह की दिक्कतें झेलनी पड़ रहीं। लेकिन अस्पताल प्रशासन समस्या को लेकर उदासीन बना हुआ है।
जागरण संवाददाता, चंदौली : सरकारी अस्पतालों में प्रसव बढ़ाने की कवायद की जा रही। लेकिन स्वास्थ्य महकमा की लापरवाही इसमें बाधा बन रही। पंडित कमलापति त्रिपाठी जिला संयुक्त चिकित्सालय में गिरते रक्तचाप को बढ़ाने में कारगर रिगर दवा का पिछले एक पखवारे से टोटा है। हालत गंभीर होने पर प्रसूताओं को अन्यत्र रेफर करना पड़ रहा। ऐसे में मरीजों को तमाम तरह की दिक्कतें झेलनी पड़ रहीं। लेकिन अस्पताल प्रशासन समस्या को लेकर उदासीन बना हुआ है।
जिला अस्पताल में रोजाना तकरीबन 500 मरीज इलाज कराने आते हैं। इसमें दर्जनों महिलाएं प्रसव कराने के लिए पहुंचती हैं। लेकिन प्रसव के दौरान इस्तेमाल होने वाली महत्वपूर्ण दवाइयों का अस्पताल में टोटा है। प्रसूताओं के गिरते रक्तचाप को बढ़ाने में कारगर रिगर दवा पिछले एक पखवारे से अस्पताल में मौजूद नहीं है। ऐसे में प्रसूताओं के इलाज में तमाम तरह की दिक्कतें आती हैं। हालत गंभीर होने पर मजबूरन प्रसूताओं को बेहतर इलाज के लिए अन्यत्र रेफर करना पड़ता है। ऐसे में यदि अस्पताल परिसर में स्थित एमसीएच विग में बेड खाली रहा और भर्ती कर लिया गया तो सहूलियत होती है। लेकिन यदि एमसीएच विग में भर्ती नहीं हो पाए तो प्रसूताओं को लेकर तीमारदारों को अस्पतालों के चक्कर काटने पड़ते हैं। मजबूरी में निजी अस्पतालों के चक्कर काटने पड़ते हैं अथवा वाराणसी जाना पड़ता है। लेकिन सबकुछ जानते हुए अस्पताल प्रशासन मौन साधे हुए है।